अरघौती पोखर के नाम से प्रसिद्ध है शेखपुरा का छठघाट
शहर के गोल्डन चौक से महज दो सौ फीट की दूरी पर अवगिल-चांडे,कोरमा सड़क मार्ग में अवस्थित ''''अरघौती पोखर'''' शहर का सबसे पुराना छठ घाट है.
शेखपुरा. शहर के गोल्डन चौक से महज दो सौ फीट की दूरी पर अवगिल-चांडे,कोरमा सड़क मार्ग में अवस्थित ””””””””अरघौती पोखर”””””””” शहर का सबसे पुराना छठ घाट है. यह पोखर करीब 10 बीघा भूभाग में फैला हुआ है. छठव्रतियों के इस घाट पर अर्ध्य देने की सैकड़ों बर्ष पुरानी परम्परा से से लोगों के बीच अरघौती पोखर के नाम से प्रसिद हैं. छठव्रतियों एवं श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर यहां बेहद व्यापक प्रबंध होता है. इस छठ घाट के चारों ओर पक्के ढलाई से सीढ़ी का निर्माण किया गया है. जहां हजारों की संख्या में आने वाली छठव्रती आसानी से अर्ध्य देने को पहुंचती है. यहां के गहरे तालाब में सालोंभर पानी जमा रहता है. छठ पर्व पर यहां विशेष साफ -सफाई कर एवं दीवारों का रंग -रोगन कर बेहद आकर्षक रूप से सजाया गया है. रौशनी का भी बेहतर प्रबंध हर साल की तरह इस साल भी की गई है. गहरे पानी में कोई प्रवेश नहीं करें इसके लिए पानी में बांस लगाकर बैरेकेडिंग भी गई है. भगवान भास्कर की सबसे पुरानी प्रतिमा है स्थापित इस छठ घाट का महत्व सैकड़ों बर्ष पुराना है. इस छठ घाट के परिसर में ही सैकड़ों बर्ष पुराना सूर्य मंदिर है.जिसमें भगवान सूर्य देव की प्रतिमा स्थापित है. अरघौती पोखर सार्वजनिक मंदिर कमिटी के सचिव अशोक कुमार ने बताया की यह छठ घाट अत्यंत प्रचीन है. शेखपुरा शहर का यह सबसे पुराना पोखर हैं जहां हर साल अर्ध्य दिया जाता था. अब शहर की आबादी बढ्ने के साथ कई अन्य स्थानों पर भी अर्ध्य दी जाती है. इस मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित की गई है और भव्य मंदिर भी बनाए गए है. चकदीवान शाही नानक संगत करती है इसकी देखभाल इस छठघाट का चकदीवान शाही नानक संगत इसकी देखभल करती है. अरघौती पोखर श्रद्धालुओं का केंद्र है. यहां श्रद्धालुओं के भीड़ के मद्देनजर संगत व्यापक प्रबंध करती है. जिला प्रशासन के साथ ही शेखपुरा नगर परिषद भी अपना सहयोग देने के साथ सुविधाओं के मद्देनजर पूरा इंतजाम करती है.
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