Bihar News: मगध इलाके में पुआल से भरे खेत, अब 40 प्रतिशत हुई रबी की बुआई

Bihar News: खेती में लगातार घटती आमदनी और बढ़ती समस्याओं के कारण पहले ही युवा वर्ग इस पेशे से मुंह मोड़ चुका है. अब बुजुर्ग किसान भी खुद को खेती से दूर करने पर मजबूर नजर आ रहे हैं.

By Ashish Jha | December 21, 2025 12:49 PM

Bihar News: बिहारशरीफ, कंचन कुमार. जिले में खेती का चेहरा तेजी से बदल रहा है. मजदूरों की लगातार कमी के कारण किसान धान की कटाई के लिए हार्वेस्टर मशीनों पर निर्भर हो गये हैं. कटाई समय पर हो रही है, लेकिन खेतों में बचा भारी मात्रा में पुआल अब किसानों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गया है. पुआल हटाने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने से किसान मजबूरी में इसे जला रहे हैं, जिससे न सिर्फ मिट्टी की उर्वरा शक्ति घट रही है, बल्कि रबी फसल की बुआई भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है. जिले में इस वर्ष एक लाख 40 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खेती हुई है. कटाई के बाद खेतों में पड़े पुआल के कारण लगभग 40 प्रतिशत खेतों में रबी फसल की बुआई नहीं हो पा रही है. किसानों का कहना है कि पुआल से ढंके खेतों की जुताई करने के लिए ट्रैक्टर चालक भी तैयार नहीं होते.

युवा वर्ग खेती के पेशे से हो रहे दूर

मजदूर नहीं मिलने के कारण पुआल हटाना संभव नहीं हो पाता और अंततः किसान उसे जलाने को मजबूर हो जाते हैं. किसानों का कहना है कि वे दोहरी मार झेल रहे हैं. एक ओर बिना पुआल हटाए रबी फसल की बुआई का समय तेजी से निकलता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पुआल जलाने पर प्रशासनिक कार्रवाई की जा रही है. किसानों का आरोप है कि प्रशासन पुआल हटाने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना ही कार्रवाई कर रहा है, जिससे उनमें गहरी नाराजगी है. खेती में लगातार घटती आमदनी और बढ़ती समस्याओं के कारण पहले ही युवा वर्ग इस पेशे से मुंह मोड़ चुका है. अब बुजुर्ग किसान भी खुद को खेती से दूर करने पर मजबूर नजर आ रहे हैं.

खास बातें

  • बिहारशरीफ में पुआल बन रहा खेती का सबसे बड़ा संकट
  • हार्वेस्टर से बढ़ी खेती की रफ्तार पर पुआल बना किसानों की मुसीबत
  • बिहारशरीफ में मजदूरों की कमी ने किसानों को पुआल जलाने पर किया मजबूर
  • दो पाटों में पिस रहे किसान एक तरफ बुआई का समय और दूसरी तरफ कार्रवाई
  • किसानों का दर्द- मजदूर नहीं, महंगी मशीनें और कार्रवाई हो रही है पर समाधान नहीं

विकल्प बताये जा रहे, पर अमल मुश्किल

कृषि विभाग वेस्ट डी-कंपोजर से पुआल सड़ाने की सलाह दे रहा है, लेकिन किसानों का कहना है कि इस प्रक्रिया में 15 से 20 दिन लग जाते हैं, जबकि रबी फसल की बुआई के लिए इतना इंतजार संभव नहीं होता. दूसरी ओर कुछ किसानों का कहना है कि पुआल प्रबंधन के लिए आधुनिक मशीनें उपलब्ध हैं, जिन पर सरकार अनुदान भी देती है. लेकिन आरोप है कि विभागीय मिलीभगत के कारण ये मशीनें आम किसानों तक नहीं पहुंच पा रही हैं और किसान के नाम पर कारोबारियों के हाथ लग रही हैं. यही वजह है कि गांवों के बड़े किसान भी पुआल प्रबंधन वाले यंत्रीकरण से वंचित हैं.

मजदूर संकट ने बढ़ायी परेशानी

ग्रामीण इलाकों में कृषि मजदूरों की भारी कमी है. मजदूर अन्य कामों के लिए तो उपलब्ध हैं, लेकिन खेती के परंपरागत कार्यों से परहेज कर रहे हैं. अधिक मेहनत और अपेक्षाकृत कम मजदूरी के कारण वे कृषि कार्यों से दूरी बना रहे हैं. परिणामस्वरूप किसान मशीनों पर निर्भर होते जा रहे हैं. रहुई प्रखंड के खिड़ौना गांव के किसान अनिल प्रसाद, बिहारशरीफ के रामजी महतो और रहुई के अरुण प्रसाद बताते हैं कि धान कटाई के बाद पुआल समेटने के लिए मजदूर नहीं मिलते. खेत खाली नहीं होने पर अगली फसल की बुआई रुक जाती है, जिससे सीधा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.

किसान पुआल जलाने को मजबूर

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पुआल जलाने से खेतों में मौजूद लाभकारी जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी की संरचना कमजोर होती है. इसका असर लंबे समय में फसल उत्पादन पर पड़ता है. इसके बावजूद समय की कमी और विकल्प न होने के कारण किसान पुआल जलाने को मजबूर हैं. किसान बताते हैं कि पुआल जलाकर वे 5 से 10 हजार रुपये की मजदूरी तो बचा लेते हैं, लेकिन इसका नुकसान मिट्टी को उठाना पड़ता है. पुआल प्रबंधन के लिए बेलर मशीन, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम और पुआल कटर जैसे यंत्रों की कीमत 10 से 20 लाख रुपये तक है. ऐसे में छोटे और मध्यम किसान इन संसाधनों को खरीदने में असमर्थ हैं.

समाधान बिना सख्ती से बढ़ रही नाराजगी

पराली जलाने पर किसानों को सरकारी योजनाओं से वंचित करने और प्राथमिकी दर्ज करने का प्रावधान है. पिछले वर्ष से लगातार कुछ किसानों पर कार्रवाई भी हुई है. किसानों का साफ कहना है कि जब तक पुआल हटाने का सस्ता, सुलभ और समयबद्ध विकल्प नहीं मिलेगा, तब तक यह समस्या खत्म नहीं होगी. कुल मिलाकर, जिले में खेती आज मजदूर संकट, पुआल प्रबंधन की विफलता और प्रशासनिक कार्रवाई के त्रिकोण में फंसी हुई नजर आ रही है. समाधान के बिना की जा रही सख्ती किसानों की परेशानियों को और गहरा रही है.

Also Read: Bihar Bhumi: रक्सौल में बेतिया राज की जमीन पर 32700 लोगों का कब्जा, सरकार ने दिया खाली करने का आदेश