जिले में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भाई दूज
जिले में गुरुवार को भाई बहनों के प्रेम का विशिष्ट त्योहार भाई दूज हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.
बिहारशरीफ. जिले में गुरुवार को भाई बहनों के प्रेम का विशिष्ट त्योहार भाई दूज हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. बहनों ने इस अवसर पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा अर्चना की. इसके बाद उन्होंने अपने भाइयों के माथे पर रोली की तिलक लगाकर हाथों में रक्षा सूत्र बांधकर उनकी आरती उतारी. इस अवसर पर बहनों के द्वारा पिसे हुए चावल से चौक बनाकर उस पर अपने भाइयों को बिठाकर मिठाई खिलाई. इसके बाद उनके हाथों में सूखे नारियल के गोले देकर उनके दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना की गई. इस अवसर पर भाइयों के द्वारा भी अपनी बहन को रक्षा करने का वचन देते हुए विभिन्न प्रकार के उपहार दिए गए. पौराणिक मान्यता के अनुसार यम देवता की बहन यमुना ने भी अपने भाई यम को नारियल का गोला भेंट किया था. मृत्यु के देवता यमराज ने अपनी बहन से प्रतिज्ञा की थी कि इस पर्व को करने वाली बहनों के भाइयों को मृत्यु का भय समाप्त हो जाएगा. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. भैया दूज का त्योहार भी रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के पवित्र संबंधों का पर्व है. इस अवसर पर भाई अपने बहन के घर जाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं तथा उन्हें यथाशक्ति उपहार देते हैं.
भैयादूज की कथा:-
भाई दूज की कहानी यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी है. कहानी के अनुसार यमुना ने कई बार अपने भाई यमराज को भोजन के लिए बुलाया, लेकिन व्यस्तता के कारण वे बहन के घर नहीं जा पाए. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को, जब यमुना ने फिर से उन्हें बुलाया, तो यमराज अपनी बहन के घर गए. यमुना ने उनका बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया, तिलक लगाया और भोजन कराया. यमराज अपनी बहन के इस प्रेम से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उसे वरदान दिया कि इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका लगाकर आदर-सत्कार करेगी, उसे यमराज का भय नहीं रहेगा. इसी घटना के बाद से भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. दूसरी कहानी भगवान श्री कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से जुड़ी है. नरकासुर राक्षस का वध करने के बाद भगवान श्री कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे. सुभद्रा ने उनका फूलों और मिठाइयों से स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक लगाई थी.इसी घटना के आधार पर भी भाई दूज मनाने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है.
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