आंबेडकर व्यक्ति नहीं विचारधारा थे : प्रो आरपी कच्छवे
स्थानीय नालंदा कॉलेज में शनिवार को कॉलेज के बेड विभाग के द्वारा ''''भारतीय समाज और डॉ भीमराव अंबेडकर'''' विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया.
बिहारशरीफ. स्थानीय नालंदा कॉलेज में शनिवार को कॉलेज के बेड विभाग के द्वारा ””””””””भारतीय समाज और डॉ भीमराव अंबेडकर”””””””” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इस अवसर पर सेमिनार को संबोधित करते हुए बिहार विधान सभा के पूर्व सदस्य एवं सामाजिक कार्यकर्ता रवि ज्योति ने कहा है कि डॉ. बीआर अंबेडकर का भारतीय समाज में विविध व अतुलनीय योगदान रहा है . उन्होंने एक समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, राजनेता और कानूनविद् के रूप में देश की असीम सेवा की है.उन्हें भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार होने से लेकर दलित वर्गों के लिए समानता और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने और उन्हें न्याय दिलाने वाले एक योद्धा के रूप में जाना जाता हैं. वे सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में छात्र छात्राओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को उनके संघर्षपूर्ण जीवन से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए. अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) रघुनाथ प्रसाद कच्छवे ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि डॉ आंबेडकर ने अपने पूरे जीवन में दलितों और हाशिए पर रहने वाले समूहों के अधिकारों के लिए जोरदार अभियान चलाया. उनके प्रयासों से ही देश में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा मिला. विशिष्ट वक्ता के रूप में दर्शनशास्त्री प्रो ( डॉ ) प्रभास कुमार ने कहा कि बाबा साहेब डॉ आंबेडकर ने भारतीय संविधान को इस तरह से आकार दिया कि भारत के सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित हो सके.कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीएड विभागाध्यक्ष डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि डॉ आंबेडकर ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए दलितों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से बहिष्कृतों के कल्याण के लिए बहिष्कृत हितकारी सभा की स्थापना की. उन्होंने दलितों को आवाज देने के लिए ””””””””मूकनायक ””””””””, “बहिष्कृत भारत”””””””” और “समता जनता”””””””” आदि कई पत्रिकाओं का प्रकाशन शुरू किया था. उन्होंने भारतीय समाज को जागरूक करने के लिए तीन से अधिक राजनीतिक दलों की स्थापना की. वे भारतीय इतिहास में एक महान व्यक्तित्व और युग पुरुष थे. अपने असंख्य योगदानों के माध्यम से उन्होंने देश के सामाजिक- सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोडी है. कार्यक्रम का संचालन डॉ संगीता कुमारी ने किया. इस अवसर पर डॉ प्रशांत, डॉ अपर्णा, विनोद कुमार, राजीव कुमार, मनीष कुमार, पशुपति कुमार, समी कुमारी, रूबी कुमारी, अमृता कुमारी, ऋषिकेश कुमार, गौरव कुमार, अदिति कुमारी सहित प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्र – छात्राओं ने भी विचार व्यक्त किए.
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