जिले में 1.38 लाख मतदाता नाम सूची से बाहर
जिला निर्वाचन पदाधिकारी (डीईओ) कुंदन कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को विशेष गहन पुनरीक्षण 2025 के तहत निर्वाचक सूची के प्रारूप प्रकाशन को लेकर बैठक हुई.
बिहारशरीफ. जिला निर्वाचन पदाधिकारी (डीईओ) कुंदन कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को विशेष गहन पुनरीक्षण 2025 के तहत निर्वाचक सूची के प्रारूप प्रकाशन को लेकर बैठक हुई. इसमें सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. बैठक में प्रारूप मतदाता सूची की हार्ड व सॉफ्ट कॉपी के साथ ही 1,38,505 छूटे हुए मतदाताओं की सूची भी साझा की गई. डीईओ ने दावा-आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया और विशेष शिविरों के आयोजन की जानकारी दी. राजनीतिक दलों से अपील की गई कि वे सूची का गहन निरीक्षण करें और छूटे हुए मतदाताओं को फॉर्म-6 के जरिए नाम जुड़वाने के लिए प्रेरित करें. जिन मतदाताओं ने पहले जरूरी दस्तावेज नहीं जमा किए हैं, वे अब विशेष शिविर में बीएलओ या सहायक निर्वाचन अधिकारी के पास जमा कर सकते हैं. इस बैठक में आम आदमी पार्टी (आप), बसपा, भाजपा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, जद(यू), लोजपा, आरजेडी, रालोसपा, सीपीआई(एमएल) और कांग्रेस सहित अन्य दलों के प्रतिनिधि मौजूद थे. बैठक में बताया गया कि छूटे हुए मतदाता 15 अगस्त तक फॉर्म-6 जमा कर सकते हैं. विशेष शिविरों के जरिए दस्तावेज सुधारने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. मतदाता सूची में अपना नाम चेक करने के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट या नजदीकी बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) से संपर्क करें. विधानसभा वार मतदाता संख्या: विधानसभा मतदाता संख्या अस्थावां 2,96,353 बिहारशरीफ 3,74,570 राजगीर 2,92,720 इस्लामपुर 2,90,503 हिलसा 2,93,421 नालंदा 3,18,853 हरनौत 3,11,156 कुल 21,77,576 बॉक्स की खबर- हर बूथ के कम से कम 50-60 वोटरों का नाम कटने की आशंका बिहारशरीफ. नालंदा जिले के सातों विधानसभा मिलाकर 2391 बूथ है. मतदाता सत्यान के क्रम में हर बूथ के कम से कम 50-60 वोटरों का नाम कटने की संभावना बतायी जा रही है. सबसे अधिक राजगीर और सबसे कम नालंदा विधान सभा में वोट का नाम कटें हैं. राजगीर में 7.05 प्रतिशत और नालंदा विधान सभा क्षेत्र में 3.57 प्रतिशत मतदाताओं का नाम हटाये गये हैं. चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची शुद्धिकरण अभियान के तहत मृतक मतदाताओं के नाम हटाए गए. डुप्लीकेट एंट्री वाले वोटरों को सूची से बाहर किया गया. स्थानांतरित हुए मतदाताओं के नाम काटे गए. दस्तावेज़ी त्रुटियों के चलते कुछ नाम हटे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मतदाता सूची में यह बदलाव आगामी विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है. कुछ दलों द्वारा इस मामले पर चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगे जाने की संभावना है.
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