Bihar Politics: क्या खरमास के बाद बिहार कांग्रेस में होने वाली है बड़ी टूट? शक्ति सिंह गोहिल के ट्वीट पर गरमायी सियासत

Bihar Politics: कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और करीब तीन साल से बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल (Shakti Singh Gohil) ने जब से अपने पद से मुक्त की बात की है उसके बाद से बिहार की सियासत में भी कांग्रेस को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. गोहिल की ओर से यह अनुरोध ऐसे समय किया गया है जब पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों को हार का मुंह देखना पड़ा था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2021 5:20 PM

Bihar Politics: कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और करीब तीन साल से बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल (Shakti Singh Gohil) ने जब से अपने पद से मुक्त की बात की है उसके बाद से बिहार की सियासत में भी कांग्रेस को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. गोहिल की ओर से यह अनुरोध ऐसे समय किया गया है जब पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों को हार का मुंह देखना पड़ा था.

पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि पिछले नवंबर में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए गोहिल पूरी तरह ठीक नहीं हुए हैं और ‘स्वास्थ्य कारणों’ से उन्होंने कुछ जिम्मेदारियों से मुक्त किए जाने का अनुरोध किया है. गोहिल के ट्वीट के बाद सत्तारूढ़ राजग ने कांग्रेस पर कटाक्ष किया. विपक्षी महागठबंधन में शामिल दलों ने भी पूर्व में कांग्रेस पर निशाना साधा था.

जद (यू) प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने एक बयान में कहा कि शक्तिसिंह गोहिल द्वारा बिहार कांग्रेस की जिम्मेदारी से मुक्त किए जाने का आग्रह कांग्रेस की बिगड़ती सेहत से पल्ला झाड़ने की कोशिश है. गोहिल को पता है कि पार्टी का कोई भविष्य नहीं है, गुटबंदी चरम पर है, इसलिए उन्होंने बुद्धिमानी के साथ दूसरे कार्यों का हवाला देकर खुद को अलग करने की कोशिश की है.

भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने भी गोहिल द्वारा ट्विटर पर इस तरह का अनुरोध करने के लिए कांग्रेस पर तंज कसा. आनंद ने कहा कि यह इंगित करता है कि पार्टी का अस्तित्व खत्म होने वाला है. पार्टी की मौजूदगी महज फेसबुक और ट्विटर तक सीमित हो चुकी है, बता दें कि हाल ही में संपन्न पिछले साल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के बाद यह घटनाक्रम हुआ है.

बिहार में अक्टूबर-नवंबर में हुए चुनाव में पार्टी 243 सदस्यीय विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन उसे केवल 19 सीटों पर जीत मिली. महागठबंधन में शामिल राजद के शिवानंद तिवारी समेत कुछ नेताओं ने कांग्रेस के प्रदर्शन पर सवाल उठाए थे. भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य ने भी कहा था कि कांग्रेस को ज्यादा सीटें दी गयी लेकिन वह जीत नहीं पायी.

कांग्रेसी नेताओं के बीच भी दिख रही दरार

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में अपने फ्लॉप शो के कारणों का आकलन कांग्रेस अब नहीं कर पाई है. कांग्रेस को छोड़कर करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों ने अपने प्रदर्शन की समीक्षा या तो कर ली है या फिर शुरू कर दी है. इधर, कई लोगों ने कहा है कि कांग्रेस में टूट का खतरा मंडराने लगा है. कई विधायक कांग्रेस छोड़ने की तैयारी में हैं. खरमास बाद बिहार कांग्रेस में कुछ बड़ा हो सकता है.

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Posted By: Utpal Kant

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