bhagalpur news. सामाजिक स्तर पर दहेज मामले को सुलझाने की करें कोशिश
भागलपुर के आदमपुर स्थित प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता अरुणाभ शेखर ने कहा कि सामाजिक स्तर पर दहेज मामले को सुलझाने की कोशिश करे.
भागलपुर के आदमपुर स्थित प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता अरुणाभ शेखर ने कहा कि सामाजिक स्तर पर दहेज मामले को सुलझाने की कोशिश करे. बात नहीं बनी, तो कोर्ट के शरण में जाये. दहेज प्रताड़ना मामला सामने आता है, तो दोनों पक्ष के लोगों को मिल बैठ कर सुलझाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए. मामले में अगर लड़की पक्ष के लोगों को पहले महिला या संबंधित थाना में इसकी शिकायत करनी चाहिए. यहां शिकायत नहीं सुनी जाती है, तो सीधे सीजीएम की कोर्ट में केस करा सकते हैं. मामला की सुनाई कोर्ट के स्तर से की जायेगी. आर्थिक परेशानी से बढ़ रहे दहेज के मामले
अधिवक्ता अरुणाभ शेखर ने कहा कि ज्यादातर मामले जो प्रकाश में आ रहे हैं, इसका मुख्य कारण आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होना. शादी कर दी जाती है, लेकिन लड़का कुछ नहीं करता है. कुछ दिन सब कुछ ठीक चलता है. इसके बाद से पति-पत्नी के बीच लड़ाई शुरू हो जाती है. पति द्वारा पत्नी से मायका से रुपये की मांग की जाती है. इसके बाद ही परिवार में मामला बिगड़ने लगता है. ऐसे में लड़की को चाहिए की जब मामले की शुरुआत हो, तो उसी समय विरोध करना चाहिए, ताकि मामले को उसी समय रोका जा सके.
संयुक्त परिवार से अलग रहने से बढ़ी परेशानी
अधिवक्ता ने कहा कि पहले लोग संयुक्त परिवार में ही रहना पसंद करते थे, लेकिन समय के साथ-साथ संयुक्त परिवार से अलग रहने का प्रचलन बढ़ा है. जबकि संयुक्त परिवार में रहने से अगर परिवार में कोई समस्या या गंभीर मामले आते थे. संयुक्त परिवार के बड़े-बुजुर्ग मिल बैठकर उन मामलों को सुलझा देते थे. अब अकेले रहने पर पति व पत्नी के बीच इगो की लड़ाई होती है. ऐसे में विवाद बढ़ जाता है. फैमिली कोर्ट तक पहुंच जाता है. कहा कि ऐसे मामले आते है, तो काउंसलिंग सेंटर का सहयोग लेना चाहिए. इससे मामला सुलझ सकता है.
कैसे सर्व सुलभ हो न्याय? अधिवक्ता अरुणाभ शेखर ने बताया कि किसी भी न्यायिक प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण है साक्ष्य की प्रस्तुति. जिसकी जवाबदेही अभियोजन पर है. अगर साक्ष्य नहीं होगा, तो एक सर्व सुलभ न्याय की परिकल्पना नहीं की जा सकती. कहा कि न्यायिक प्रक्रिया जितनी जल्दी हो उतना ही अच्छा है, इसमें पुलिस की भी अहम भूमिका होती है. अधिवक्ता कहते हैं कि मामलों में विलंब का कारण भी सुलभ न्याय के लिए चिंताजनक है. वैसे तो अनेकों मामले दर्ज होते हैं, लेकिन अगर इसे सामाजिक स्तर से ठीक करने का प्रयास किया जाए तो निश्चित रूप एक बदलाव लाया जा सकता है. मिसाल के तौर पर अधिवक्ता ने कहा कि कोई व्यक्ति न्याय प्रणाली की प्रक्रिया से गुजरता है. उसे सर्वप्रथम अपने मौलिक अधिकारों की जानकारी होना आवश्यक है. प्रशासनिक कार्यवाही के बाद जब न्यायालय के द्वारा फैसला किया जाता है, तो उसमें सही न्याय साक्ष्य और गवाहों की मद्देनजर रखते हुए ही किया जाता है.बेटी को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा, पुलिस भी नहीं सुन रही
अरविंद कुमार सिंह, सनोखर बाजार
उत्तर – पुलिस मामले में सुनवाई या केस नहीं कर रही है. आप सीधे सीजीएम कोर्ट में केस करे. यहां मामले की सुनवाई होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
