bhagalpur news. क्रूरता की इंतहा. नाथनगर में इंसानियत को झकझोर देने वाली हत्या
नाथनगर में 23 दिसंबर से लापता युवक अभिषेक कुमार की हत्या जिस तरीके से की गयी, उसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है.
यह सिर्फ एक हत्या नहीं है, बल्कि मानसिक विकृति और बर्बरता की पराकाष्ठा है, जहां इंसानियत दम तोड़ती नजर आती है. नाथनगर में 23 दिसंबर से लापता युवक अभिषेक कुमार की हत्या जिस तरीके से की गयी, उसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है. हत्यारों ने पहले युवक की जांघ में गोली मारी, फिर उसकी हत्या कर शव को मशीन से काटकर तीन टुकड़ों में बांट दिया. इसके बाद शव को बोरे में बंद कर फेंक दिया गया, जबकि सिर और दोनों पैर अब तक गायब हैं. यह सवाल हर किसी के मन में उठ रहा है-क्या कोई इंसान इतनी नृशंसता के साथ किसी दूसरे इंसान को मार सकता है? पुलिस के अनुसार मृतक का सिर और पैर गंगा की धारा में बहा दिए गए, मानो अपराधी न सिर्फ हत्या करना चाहते थे, बल्कि पहचान तक मिटा देना चाहते थे? तीन दिन से लापता अभिषेक का शव मिला, दोस्तों ने पहले जांघ में मारी गोली, फिर शव के तीन टुकड़े कर बोरे में भरकर फेंका नाथनगर थाना क्षेत्र के मसकन बरारीपुर निवासी संतोष दास का भांजा अभिषेक कुमार 23 दिसंबर से लापता था, जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट परिजनों ने नाथनगर थाने में दर्ज करायी थी. युवक के लापता होने के बाद जब परिजन लगातार थाने का चक्कर लगाने लगे, तो पुलिस ने मिले सुराग के आधार पर दो युवकों को हिरासत में लिया. दोनों की निशानदेही पर शुक्रवार रात करीब 8 बजे राघोपुर शाहपुर पुलिया के पास से अभिषेक का शव बरामद किया गया. पुलिस जब बोरा खोलकर शव को देखा तो सन्न रह गयी. शव प्लास्टिक बोरे में मिट्टी और बालू से भरा हुआ था. दोनों हाथ रस्सी से बंधे थे और जैकेट का चैन बंद कर शव को सील किया गया था. शव का सिर और दोनों पैर गायब थे. अभिषेक कुमार की नृशंस हत्या के मामले में एक ऐसा पहलू भी सामने आया है, जिसने इस जघन्य अपराध को और भी चौंकाने वाला बना दिया है. जिन युवकों पर अभिषेक की हत्या का आरोप है, वही उसके लापता होने के बाद बीते तीन दिनों से उसके परिजनों के साथ मिलकर उसे ढूंढने का नाटक कर रहे थे. सिर व पैर गंगा में बहाने की बात : पूछताछ में हिरासत में लिये गये दोनों युवकों ने पुलिस को बताया कि मृतक का सिर और पैर गंगा की धारा में फेंक दिया गया है. पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है. शव मिलने की सूचना पर घटनास्थल पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और मृतक के परिजन पहुंच गये. पुलिस मृतक और आरोपित युवकों के मोबाइल कॉल डिटेल की भी जांच कर रही है. पोस्टमार्टम को लेकर हंगामा : आक्रोश की आशंका को देखते हुए पुलिस शव को सीधे पोस्टमार्टम हाउस, भागलपुर ले गयी. इससे परिजन नाराज हो गये और शव को थाना लाने की मांग पर अड़ गये. पुलिस अधिकारियों के समझाने के बाद स्थिति शांत हुई. पुलिस के अनुसार घटना में शामिल सभी अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. मामले की विस्तृत जानकारी शनिवार को वरीय अधिकारी प्रेस को देंगे. खोज में शामिल थे आरोपी दोस्त परिजनों के अनुसार अभिषेक विवाहित था और पिछले चार वर्षों से मसकन स्थित नानीघर में मामा के साथ रहकर कपड़े के व्यवसाय को संभाल रहा था. मामा संतोष कुमार ने बताया कि घटना के दिन अभिषेक तुरंत लौटने की बात कहकर निकला था, लेकिन काफी देर तक वापस नहीं आया. फोन करने पर उसने एक–डेढ़ घंटे में लौटने की बात कही, पर देर रात तक घर नहीं लौटा. सुबह करीब चार बजे फोन करने पर अभिषेक ने बताया कि वह जमालपुर पहुंच गया है और सुबह घर लौट आएगा. जब मामा ने उससे पूछा कि वह जिस व्यक्ति के यहां रुका है, उससे बात करा दे, तो अभिषेक ने फोन काट दिया. इसके बाद उसका मोबाइल बंद हो गया और फिर कभी संपर्क नहीं हो सका. मामा संतोष कुमार के अनुसार जिन तीन युवकों को पुलिस ने अभिषेक की हत्या के आरोप में हिरासत में लिया है, वे उसके करीबी दोस्त थे. अभिषेक के गायब होने के बाद यही युवक मामा के साथ इधर-उधर घूमकर उसकी तलाश करते रहे. परिजन आज भी स्तब्ध हैं कि जो दोस्त कंधे से कंधा मिलाकर खोजबीन कर रहे थे, वही इतनी बेरहमी से हत्या कैसे कर सकते हैं? मोबाइल विवाद की कहानी पर संदेह पुलिस की ओर से परिजनों को यह जानकारी दी गयी है कि अभिषेक ने अपने दोस्त राधे को किस्त पर मोबाइल दिलाया था. किस्त नहीं चुकाने पर अभिषेक ने मोबाइल वापस ले लिया, जिससे नाराज होकर उसकी हत्या कर दी गयी. लेकिन परिजनों को यह वजह बिल्कुल भी गले नहीं उतर रही. अभिषेक के पिता का कहना है कि इतनी छोटी बात पर कोई किसी को गोली मारकर, शरीर के तीन टुकड़े कर, सिर और पैर गंगा में बहा दे—यह बात समझ से परे है. उनका मानना है कि हत्या के पीछे कोई बड़ा राज या गहरी साजिश छिपी हो सकती है. अनसुलझे सवाल अभिषेक बिना बताए जमालपुर क्यों गया? जिस व्यक्ति के यहां वह रुका था, उससे परिजनों को बात क्यों नहीं करने दी? क्या जमालपुर जाना किसी पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा था? क्या हत्या के पीछे सिर्फ मोबाइल विवाद है, या कोई और बड़ा कारण? भरोसे का कत्ल अभिषेक हत्याकांड सिर्फ एक नृशंस हत्या नहीं, बल्कि यह दोस्ती, भरोसे और इंसानी रिश्तों के टूटने की भयावह कहानी बनता जा रहा है. जो दोस्त खोज में साथ थे, वही अगर कातिल निकले, तो यह समाज के लिए एक डरावनी चेतावनी है. पुलिस का कहना है कि पूछताछ और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर पूरे घटनाक्रम की परतें खोली जा रही हैं. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस हत्याकांड के पीछे छिपी सच्चाई सामने आएगी. हत्यारों की मानसिकता पर सवाल, इलाके में दहशत शव को जिस तरह प्लास्टिक बोरे में मिट्टी और बालू भरकर, हाथ रस्सी से बांधकर और जैकेट का चैन बंद कर सील किया गया, वह इस ओर इशारा करता है कि यह अपराध गुस्से का तात्कालिक विस्फोट नहीं, बल्कि ठंडे दिमाग से रची गयी हैवानियत थी. शव को काटने के लिए मशीन का इस्तेमाल यह दर्शाता है कि अपराधी सिर्फ हत्या नहीं, बल्कि सबूत मिटाने की सनक में थे. शव बरामद होते ही घटनास्थल पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. हर चेहरे पर खौफ और गुस्सा साफ दिखा. इधर, तीन दिन तक बेटे के लौट आने की उम्मीद लगाये बैठे परिजनों के लिए यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं थी. जिस बेटे को खोजने वे थाने के चक्कर काटते रहे, वही अब टुकड़ों में मिला. पोस्टमार्टम हाउस ले जाने को लेकर परिजनों का आक्रोश इसी टूटे हुए विश्वास और असहनीय पीड़ा का परिणाम था. तीन दिन से लापता युवक का शव बरामद किया गया है. इस मामले में मिर्जापुर निवासी राधे और ऋतिक को गिरफ्तार किया गया है. दोनों की निशानदेही पर ही शव बरामद हुआ है. राकेश कुमार, सिटी डीएसपी-2
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