bhagalpur news. मृत और इस्तीफा दे चुके शिक्षकों से भी पूछ दिया स्पष्टीकरण

ई-शिक्षाकोष पर अटेंडेंस नहीं बनाने के मामले में जिले के 1388 शिक्षकों से पूछे गये स्पष्टीकरण की जम कर आलोचना हो रही है

By ATUL KUMAR | March 24, 2025 4:44 AM

भागलपुर. ई-शिक्षाकोष पर अटेंडेंस नहीं बनाने के मामले में जिले के 1388 शिक्षकों से पूछे गये स्पष्टीकरण की जम कर आलोचना हो रही है. जानकारी मिल रही है कि स्पष्टीकरण की सूची में ऐसे भी शिक्षकों का नाम डाला गया है जो पूर्व में ही स्वर्ग सिधार गये हैं. मालूम हो कि 21 मार्च को ई-शिक्षाकोष पर अटेंडेंस नहीं बनाने वाले शिक्षकों से डीईओ ने स्पष्टीकरण पूछा था. शिक्षकों का कहना है कि 20 मार्च को शुक्रवार था और उस दिन उर्दू विद्यालयों में साप्ताहिक अवकाश रहता है. ऐसे में सूची में लगभग 500 ऐसे शिक्षकों को शामिल किया गया है जो नियमानुसार साप्ताहिक अवकाश पर थे. सूची में इस्माइलपुर मोती टोला मध्य विद्यालय के एक शिक्षक का नाम अंकित है, जिसकी मौत हो चुकी है. दूसरी तरफ कई ऐसे भी शिक्षक हैं जिन्होंने ई-शिक्षाकोष पर हाजिरी बनायी, लेकिन उन्हें अनुपस्थित कर दिया गया है. जगदीशपुर में एक ऐसे शिक्षक का नाम शामिल किया गया है जिन्होंने पिछले वर्ष ही इस्तीफा दे दिया है. वहीं कई ऐसे शिक्षक भी है जो विभागीय प्रतिनियुक्ति के अनुसार प्रशिक्षण केंद्रों में प्रतिनियुक्त थे. ऐसे शिक्षकों से भी स्पष्टीकरण पूछा गया है. आज दोपहर बाद तीन बजे तक देना होगा जवाब डीईओ द्वारा जारी पत्र में सभी शिक्षकों को सोमवार को दोपहर बाद तीन बजे तक स्पष्टीकरण का जवाब देना है. डीईओ ने अपने पत्र में स्पष्ट कहा है कि जवाब नहीं देने की स्थिति में यह समझा जाएगा कि आपके विरुद्ध लगाया गया आरोप प्रमाणिक है तथा एक पक्षीय कार्रवाई प्रारंभ कर दी जाएगी. संघ ने खड़ा किया सवाल प्रारंभिक माध्यमिक शिक्षक संघ भागलपुर के अध्यक्ष डॉ शेखर गुप्ता ने कहा कि शिक्षक तीन तरफा उपस्थिति दर्ज करने के बावजूद मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं. शिक्षकों को दैनिक उपस्थिति पंजी, ई शिक्षाकोष और मध्याह्न भोजन योजना दैनिक प्रतिवेदन पर उपस्थिति दर्ज कराया जा रहा है. बाबजूद शिक्षक स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं और संदेहास्पद बने हुए हैं. वहीं दूसरी ओर प्रधानाध्यापकों के प्रतिवेदन, विभागीय अधिकारियों के औचक निरीक्षण के बावजूद मृत शिक्षकों के संबंध में स्पष्टीकरण देने को विवश हैं, आखिर शिक्षकों से अलग हटकर कार्यालय पर जिम्मेवारी तय क्यों नहीं हो पा रही है?

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