Bhagalpur news श्रीमद्भागवत कथा में भक्त प्रहलाद की विशेष झांकी निकाली
पीरपैंती प्रखंड के प्रियदर्शनी विवाह भवन में सप्त दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन भक्त प्रहलाद का प्रसंग सुनाया गया.
पीरपैंती प्रखंड के प्रियदर्शनी विवाह भवन में सप्त दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन भक्त प्रहलाद का प्रसंग सुनाया गया. कथा वाचक राधे बाबा ने कहा कि भक्त प्रहलाद ने माता कयाधु के गर्भ में ही नारायण नाम का मंत्र सुना था, जिसके सुनने मात्र से भक्त प्रहलाद के कष्ट दूर हो गये. राधे बाबा ने बताया कि बच्चों को धर्म का ज्ञान बचपन से ही देना चाहिए, जिससे वह जीवन भर उसका स्मरण करते रहे. माता-पिता की सेवा, प्रेम के साथ समाज में है रहने की प्रेरणा ही धर्म का मूल है. अच्छे संस्कार से ध्रुव जी को पांच वर्ष की आयु में भगवान का दर्शन प्राप्त हुआ. उन्हें 36 हजार वर्ष तक राजभोग का वरदान प्राप्त हुआ था. बच्चों का नामांकरण भी अच्छे नाम से करना चाहिए. नाम का प्रभाव ही जीवन पर पड़ता है. अतः बच्चों को धर्म की बातें और अच्छा संस्कार देना चाहिए. मौके पर मुख्य जजमान रामदेव पांडे, नीरज तिवारी और सत्यम कुमार सपत्नीक कथा श्रवण कर रहे थे. भक्ति संगीत में सौरभ तिवारी ने एक से बढ़कर एक भक्ति भजन प्रस्तुत किया.
विपत्ति की तरह जो सुख में भी नारायण को नहीं भूलते, उनका कल्याण निश्चित : धनंजय वैष्णव
कहलगांव प्रखंड के रामजानीपुर स्थित दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन मंचस्थ कथावाचक धनंजय वैष्णव जी ने कहा कि भाव ही सर्वस्व सेवा है, भाव ही आधार है. भाव से भज ले प्रभु को तो बेड़ा पार है. उन्होंने राजा उत्तानपाद और रानी सुनीति व उनके पुत्र ध्रुव की कथा सहित अजामिल की कथा के माध्यम से भगवान नारायण के नाम की महिमा के साथ ही गज और ग्राह की सप्रसंग कथा सुनायी. उन्होंने कहा कि यह कथा हमें संदेश देती है कि व्यक्ति दुःख में तो भगवान को याद करता है, लेकिन सुख में भूल जाता है. दु:ख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय, जो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे का होय. गजराज ने दुःख में भगवान को याद किया, तो भगवान ने प्रकट होकर ग्राह का उद्धार कर गजराज का कल्याण किया. राजा बली और वामन भगवान की कथा में बताया गया कि भगवान छोटा से भी छोटा बन सकते हैं और पूरी दुनिया को तीन पग में नापने की भी भगवान के पास शक्ति है. भगवान ने राजा बली के भाव और सेवा को देख कर उनके यहां हमेशा के लिए पहरेदार बन उन्हें नित्य दर्शन देने का वचन दिया. देवताओं का राज्य वापस बली से लेकर देवगुरु बृहस्पति को भगवान ने राज्य प्रदान किया. मनुष्य को अपनी चेतना से ऊपर उठा कर मनुष्यता को बढ़ानी चाहिए और सत्य सनातन वैदिक धर्म का श्रेय लेकर जीवन जीने की कला, ज्ञान-विज्ञान के साथ आध्यात्मिक उन्नति करने का भरपूर प्रयास करना चाहिए. भारतीय दर्शन में दुनिया की तमाम विधाओं का समावेश है. नवम स्कंध में सूर्यवंश और चंद्रवंश की विस्तार से चर्चा की. भगवान राम और भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूम-धाम से झांकी के साथ मनाया गया.प्रतिमा विसर्जन के साथ अष्ट दिवसीय गणपति महोत्सव का समापन
कहलगांव शारदा पाठशाला स्थित खेल मैदान में भारतीय कला कुंज परिषद के तत्वावधान में अष्ट दिवसीय गणपति महोत्सव का समापन मूर्ति विसर्जन के साथ हो गया. आचार्य नीलेश शुक्ला व आचार्य गोपाल शुक्ला ने संयुक्त रूप से बताया कि गौरी, गणेश, वरुण-कलश, सूर्यादि नवग्रह देवता, षोडश मातृका पूजन व श्री महागणपति जी की मूर्ति में वैदिक मंत्रों से प्राण-प्रतिष्ठा एवं समस्त देवताओं की संपूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना की गयी. प्रथम दिवस से अष्टम दिवस तक भगवान गणपति को सहस्त्र दूर्वा एवं लड्डू से सहस्त्रार्चन किया गया. प्रतिदिन संध्या में गणपति की विशेष महा आरती की गयी और आज समस्त देवी-देवताओं का हवन पूजन व नगर भ्रमण के उपरांत स्थानीय उत्तरवाहिनी गंगा तट में प्रतिमा विसर्जन किया गया. इस दौरान जयकारों से माहौल पूरी तरह भक्तिमय बना था. आयोजन समिति अध्यक्ष विक्की यादव ने बताया कि महोत्सव के शुभारंभ से समापन तक स्थानीय लोग एवं शासन-प्रशासन का भरपूर सहयोग मिला.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
