bhagalpur news.पीजीआरसी की बैठक में साइंस व लॉ के शोध प्रस्ताव को मिली मंजूरी

टीएमबीयू में गुरुवार को साइंस व लाॅ संकाय के लिए पाेस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल (पीजीआरसी) की बैठक हुई

By ATUL KUMAR | April 4, 2025 12:32 AM

भागलपुर टीएमबीयू में गुरुवार को साइंस व लाॅ संकाय के लिए पाेस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल (पीजीआरसी) की बैठक हुई. कुलपति प्राे जवाहर लाल की अध्यक्षता में उनके आवासीय कार्यालय में हुई बैठक में दोनों संकाय के अधिकतर शाेध प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी. जबकि कुछ काे रिवाइज करने व कुछ का अवधि विस्तार भी किया गया है. बताया जा रहा है कि रिवाइज के लिए हाेमसाइंस, गणित व जूलाॅजी के शोध प्रस्ताव शामिल है. इसमें एक से दाे शाेध प्रस्ताव रिवाइज किये जायेंगे. इसके बाद उन प्रस्तावों को दाेबारा पीजीआरसी की बैठक में रखा जायेगा. यहां से पारित होने के बाद ही शोधार्थी का पीएचडी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी. साइंस के डीन प्राे जगधर मंडल ने बताया कि बैठक में साइंस के 44 शाेध प्रस्ताव रखे गये थे. इसमें ज्यादातर शाेध प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी है. छात्राें के पीएचडी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हाेगी. यूजीसी 2016 के रेगुलेशन के तहत शाेध प्रस्ताव के मूल्यांकन के लिए रखी गई थी. बताया कि हाेमसाइंस के लगभग दाे शाेध प्रस्तावों का रिवाइज करने के लिए कहा गया है. कुलपति शोध प्रस्ताव को मानक से कमी पाया है. जबकि हाेमसांइस के शेष सात प्रस्ताव पास किये गये. गणित का एक प्रस्ताव एक टर्म के कारण रुक गया. कुलपति ने रिवाइज करने के लिए कहा है. पीजी गणित विभाग की हेड प्राे रंजना माैजूद थी. संबंधित शाेध प्रस्ताव प्राे एसएन पांडेय के निर्देशन का था. उसके एक टर्म के बारे में कुलपति ने जानकारी मांगी, जाे तत्काल उन्हें नहीं बताया जा सका. जूलाॅजी के नाै प्रस्ताव में आठ पास किये गये. जबकि एक प्रस्ताव के बारे में कुलपति ने कहा कि देख लिया जाये कि किसी सुपरवाइजर के अंदर कितने पीएचडी का प्रावधान है. साइंस डीन ने बताया कि फिजिक्स के सभी चार शाेध प्रस्ताव पास हाे गये. केमिस्ट्री के सभी नाै व बाॅटनी के सभी शाेध प्रस्ताव पास हाे गये. सांख्यिकी में काेई शाेध प्रस्ताव नहीं था. वहीं, कुछ शाेध प्रस्ताव पर निर्धारित चार साल पूरे हाेने तक भी काम चल रहा है. उनके सुपरवाइजर की तरफ से अवधि विस्तार देने का आग्रह किया गया. यूजीसी के रेगुलेशन में शाेध के पूरा करने के लिए चार साल का समय तय है. इस बाबत कुलपति ने अवधि विस्तार देने की अनुमति दी.

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