Bhagalpur News. थाना आने-जाने वालों पर नजर रखेंगे पुलिस पदाधिकारी, सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा का निर्देश
थाना में आने जाने वालों पर पुलिस अधिकारी रखेंगे नजर.
ऋषव मिश्रा कृष्णा, भागलपुरअब जिले के सभी थानों में आने-जाने वाले लोगों की गतिविधियों पर पुलिस पदाधिकारी की सीधी नजर रहेगी. थाना परिसरों में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज का नियमित अनुश्रवण वरिष्ठ पुलिस पदाधिकारियों द्वारा किया जायेगा. इस संबंध में जिलाधिकारी भागलपुर की ओर से स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं. यह आदेश बिहार पुलिस मुख्यालय और राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो, पटना से प्राप्त दिशा-निर्देशों के आलोक में दिया गया है. सभी पुलिस थानों और ओपी में अधिष्ठापित सीसीटीवी कैमरों का अनुश्रवण केवल तकनीकी व्यवस्था तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका सतत और प्रभावी पर्यवेक्षण सुनिश्चित किया जाएगा. इसके लिए वरीय पुलिस पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है. थानों में आने वाले फरियादियों, अभियुक्तों, गवाहों और अन्य व्यक्तियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता या मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं को रोका जा सके.
पुलिस की कार्यशैली में पारदर्शिता लाने का है उद्देश्य
स्पष्ट किया गया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और पुलिस मुख्यालय के निर्देश के अनुसार राज्य के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इन कैमरों का उद्देश्य थानों में पारदर्शिता लाना और पुलिस कार्यप्रणाली पर निगरानी रखना है. जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि सीसीटीवी कैमरों और संबंधित उपकरणों का नियमित निरीक्षण, रख-रखाव और मरम्मत सुनिश्चित की जाए, ताकि कोई भी कैमरा निष्क्रिय न रहे. इसके साथ ही निर्देश दिया गया है कि थानों में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जिला स्तरीय निगरानी समिति द्वारा समय-समय पर समीक्षा की जाएगी.मासिक प्रतिवेदन तैयार कर संबंधित विभाग को भेजना अनिवार्य होगा. यदि किसी थाना क्षेत्र में कोई घटना घटती है और वह सीसीटीवी में दर्ज नहीं पाई जाती है, तो इसकी जवाबदेही तय की जाएगी. यह भी स्पष्ट किया गया है कि सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा के दौरान थानों में आने-जाने वालों के व्यवहार, पुलिसकर्मियों के आचरण और पूछताछ की प्रक्रिया पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. इससे न सिर्फ आम नागरिकों का विश्वास पुलिस पर बढ़ेगा, बल्कि थानों में अनुशासन और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी. प्रशासनिक स्तर पर इस निर्णय को पुलिस व्यवस्था में पारदर्शिता और सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. अधिकारियों का मानना है कि इससे थानों में कार्यसंस्कृति बेहतर होगी और शिकायतों में कमी आएगी.
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