Bhagalpur News: टीएमबीयू में होता रहा एमओयू पर एमओयू, लाभ नहीं

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेघालय, ग्लोबल लीडर फाउंडेशन नयी दिल्ली व वीरेंद्र विवि राजशाही बांग्लादेश से एमओयू

By SANJIV KUMAR | August 20, 2025 1:20 AM

– विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेघालय, ग्लोबल लीडर फाउंडेशन नयी दिल्ली व वीरेंद्र विवि राजशाही बांग्लादेश से एमओयू- कुलपति ने एमओयू को शिक्षकों व विद्यार्थियों के हित में बताया था, इस दिशा में कार्य ही नहीं किये गये

वरीय संवाददाता, भागलपुर

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में एमओयू पर एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडर स्टैंडिंग) जरूर हुए. इसका उद्देश्य यहां के शिक्षकों व विद्यार्थियों के हित को लेकर किया गया था लेकिन धरातल पर इसका क्रियान्वयन नहीं हो सका. इसके पूर्व में विवि में एमओयू साइन होने के बाद अबतक काम आगे नहीं बढ़ा है. टीएमबीयू ने करीब आधा दर्जन संस्थानों के साथ एमओयू किया था. ऐसे में सवाल उठने लगा कि विवि में केवल एमओयू फाइलों में ही शोभा बढ़ाने का काम कर रहा है.

कुलपति ने देश-विदेश के शैक्षणिक संस्थानों से किया था एमओयू

वीसी प्रो जवाहर लाल के कार्यकाल में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेघालय, ग्लोबल लीडर फाउंडेशन नयी दिल्ली व वीरेंद्र विवि राजशाही बांग्लादेश से एमओयू हुआ था. एमओयू होने से एक साल से ज्यादा हो चुके हैं. इस दिशा में विवि की तरफ से आगे का प्रयास नहीं किया गया. यहां के शिक्षक व विद्यार्थियों को एमओयू का लाभ नहीं मिल पाया और न ही बाहर के शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षक व विद्यार्थी टीएमबीयू आये. पूर्व में भी विवि प्रशासन ने बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया, जूलाॅजिकल सर्वे आफ इंडिया, श्री गौशाला समिति व बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी सबौर के साथ एमओयू किया था. बताया जा रहा है कि टीएमबीयू के छात्र किसी विषय पर शोध के लिए बीएयू के लैब का इस्तेमाल कर सकते हैं व फैकल्टी का भी सहयोग लेते लेकिन इस दिशा में आगे की प्रक्रिया ही नहीं बढ़ पायी. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं.

किसानों को नहीं मिल पाया वर्मी कंपोस्ट

टीएमबीयू का बीएयू सबौर व श्री गौशाला समिति के साथ भी एमओयू हुआ था. इसमें श्री गौशाला समिति द्वारा गाेबर व बीयूए को कछुआ उपलब्ध करना था. जबकि विवि प्रशासन द्वारा वर्मी कंपोस्ट तैयार करने में तकनीकी सहयोग करना था. सारी प्रक्रिया पूरा होने के बाद वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए श्री गौशाला समिति में पहला यूनिट सह किट तैयार किया गया था. इसी तर्ज पर पीजी जूलॉजी विभाग में दूसरा यूनिट सह किट तैयार किया गया था. इसका उद्देश्य था कि किसानों तक कम कीमत पर जैविक खाद उपलब्ध कराना है. ताकि जैविक खेती तेजी से बढ़े. वर्मी कंपोस्ट को खेत में डालने के बाद लंबे समय तक मिट्टी में उर्वरा शक्ति बनी रहेगी. जबकि कैमिकल खाद का उपयोग 20 दिन के बाद दोबारा करना होता है. लेकिन धरातल पर नतीजा सिफर रहा.

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