bhagalpur news. 65 रुपये के लोभ में कट रहे नीम के पेड़ को बचाया था खंजरपुर समाज, आज दे रहा छाया
यह घटना बहुत छोटी लग सकती है, पर प्रदूषण के दौर से गुजर रही देश-दुनिया के लिए बहुत बड़ा संदेश छोड़ गयी है
भागलपुर यह घटना बहुत छोटी लग सकती है, पर प्रदूषण के दौर से गुजर रही देश-दुनिया के लिए बहुत बड़ा संदेश छोड़ गयी है. यह घटना खंजरपुर मोहल्ले में 36 वर्ष पहले की है, जब एक लोभी ने महज 65 रुपये के लिए नीम के एक वयस्क पेड़ को बेच दिया. पेड़ काटने के लिए जैसे ही लकड़हारा पहुंचे कि एक व्यक्ति ने उसे देख विरोध करने लगे. यह सूचना पूरे समाज में फैल गयी. लोग वहां एकत्रित हो गये और पुरजोर विरोध करना शुरू कर दिया. लोगों के विरोध का असर यह हुआ कि लकड़हारे को वहां से भागना पड़ा और पेड़ बेचने वाले भी वहां से भाग गया. उस समय पौध पूरी तरह पेड़ की शक्ल में नहीं आ पाया था, लेकिन इसकी महत्ता की लोगों की समझ और सूझबूझ से बच गया. आज वह नीम का पेड़ विशाल हो चुका है. छायादार बन चुका है. पंछियों का बसेरा बना हुआ है. कोई दातुन का उपयोग करते हैं, तो कोई इसके पत्ते का सेवन. घटना के संदर्भ में स्थानीय निवासी व अधिवक्ता कन्हैया लाल ने बताया कि सड़क किनारे नीम का पेड़ सरकारी क्वार्टर की चहारदीवारी के अंदर लगा है. क्वार्टर में रहने वाले एक सरकारी कर्मचारी का यहां से ट्रांसफर हो गया था. क्वार्टर खाली करने के दौरान कर्मचारी ने इस पेड़ को महज 65 रुपये में बेच दिया था. जब मैंने इसका विरोध किया, तो आसपास के लोगों ने समर्थन किया. अगर उस समय मैंने यह निर्णय नहीं लिया हाेता, तो सड़क किनारे इस नीम के पेड़ का आज नामोनिशान नहीं रहता. पेड़ों के नाम से शहर में कई चौक-चौराहे शहर के कई चौक चौराहों पर बरगद, नीम समेत कई पेड़ आज भी लगे हुए हैं. इन पेड़ों के नाम से लोग चौक-चौराहे को संबोधित करते हैं. बड़ी खंजरपुर के बीचों बीच बरगद का पेड़ रहने से इसे बड़गाछ चौक के नाम से पुकारा जाता है. वहीं खलीफाबाग चौक से कोतवाली के बीच नीम का पेड़ स्थित है. इस जगह को लोग नीम गाछ चौक भी कहते हैं. वहीं मारवाड़ी कॉलेज के पास चौराहे पर बरगद का विशाल पेड़ रहने के कारण लोग इसे बड़गाछ चौराहा कहते हैं. बड़ी खंजरपुर निवासी कन्हैयालाल बताते हैं कि चौक के पास लगा बरगद का पेड़ 1988 में वट सावित्री के दिन गिर गया था. इसकी चपेट में आकर कई महिलाओं की मौत हो गयी थी. पेड़ गिरने के बाद दोबारा यहां पर वट का पौधा लगाया गया था. आज यह विशाल पेड़ में तब्दील हो गया है. इधर, शहर के सरकारी बस स्टैंड, खिरनीघाट, बरारी घाट, जयप्रकाश उद्यान समेत अन्य इलाकों में बरगद समेत अन्य पेड़ दशकों से खड़े हैं. सरकारी स्कूलों व कार्यालयों में लगा चुके करीब 10 हजार पेड़ फोटो सिटी में तेजी से बढ़ रही आबादी व शहरीकरण के कारण पेड़ों को अंधाधुंध तरीके काटा जा रहा है. बावजूद पेड़ों के संरक्षण के लिए कई लोग व सामाजिक संगठन दिनरात लगे हुए हैं. इनमें नवगछिया अनुमंंडल में गंगा प्रहरी संरक्षण सोसाइटी के 16 सदस्यों के द्वारा स्कूलों में विगत कई वर्षों से पौधरोपण किया जा रहा है. संगठन से जुड़े गंगाप्रहरी ज्ञान चंद्र ज्ञानी बताते हैं कि अबतक करीब 10 हजार पेड़ों को स्कूलों, सरकारी संस्थानों व निजी परिसर में चहारदीवारी के अंदर लगाकर संरक्षित किया गया है. यह सभी पेड़ नवगछिया, खरीक, रंगरा, बिहपुर समेत अन्य प्रखंडों व पंचायतों में लगाये गये हैं. इस कार्य में वन विभाग व निजी नर्सरी का सहयोग मिला है. क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय वन दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव से हर वर्ष 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय वन दिवस मनाया जाता है. इस आयोजन का मकसद पर्यावरण की सुरक्षा व पेड़-पौधों के संरक्षण के लिए आमलोगों को जागरूक करना है. वहीं भागलपुर वन प्रमंडल पदाधिकारी श्वेता कुमारी ने बताया कि वन विभाग के कृषि वानिकी व फार्म वानिकी योजनाओं से निजी व सरकारी जमीन पर हर वर्ष पौधरोपण कर वन घनत्व बढ़ाने के प्रयास जारी हैं.
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