Bhagalpur news देव दीपावली आज, दीपदान की तैयारी पूरी
कार्तिक पूर्णिमा पर मंगलवार की शाम से ही नमामि गंगे घाट, अजगैवीनाथ मंदिर घाट और सीढ़ी घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है.
कार्तिक पूर्णिमा पर मंगलवार की शाम से ही नमामि गंगे घाट, अजगैवीनाथ मंदिर घाट और सीढ़ी घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है. रात के 12 बजे के बाद ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान व दीपदान की परंपरा निभायी जायेगी. बिहार, झारखंड सहित कई अन्य राज्यों से श्रद्धालु मंगलवार देर शाम से ही देव दीपावली मनाने पहुंचे हैं. कई श्रद्धालु जियछ पोखर के तट पर दीप जला कर उत्सव मनायेंगे. पंडित शालीग्राम झा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन सभी देवता स्वर्गलोक से उतरकर गंगा तट पर दीप जलाते हैं, इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है. इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है. भीड़ को लेकर पुलिस प्रशासन मुस्तैद है.
सुलतानगंज में जाम, पुलिस ने संभाली व्यवस्था
कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर मंगलवार को सुलतानगंज में श्रद्धालुओं की भीड़ व वाहनों का दबाव अचानक बढ़ गया, जिससे मंगलवार की शाम मुख्य चौक पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो गयी. थाना चौक पर अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती व वाहनों को बायपास मार्ग से मोड़ कर यातायात को सुचारू किया गया. स्टेशन रोड पर जाम की स्थिति बनी रही. पुलिस भीड़ नियंत्रण व वाहनों के सुचारू परिचालन पर लगातार निगरानी रख रही है. लोगों ने प्रशासन से अतिक्रमण हटाने की मांग की है, ताकि कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली पर श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो.बैकुंठ चतुर्दशी : श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगा, किया दीपदान
कहलगांव प्रखंड के उत्तरवाहिनी एलसीटी घाट, चारोधाम घाट, त्रिमुहान व बाबा बटेश्वर स्थान में बैकुंठ चतुर्दशी पर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र से पहुंचे श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी. श्री बाबा बटेश्वरनाथ सहित अन्य प्रमुख देवी-देवताओं के मंदिरों में जलाभिषेक किया. संध्या समय अपने-अपने घरों व मंदिरों में भगवान के सम्मुख विधिवत दीप-प्रज्वलित कर उनकी भव्य आरती उतारी. साहित्यवाचस्पति आचार्य रामजी मिश्र रंजन ने बताया कि धर्मशास्त्रों के अनुसार बैकुण्ठ चतुर्दशी भगवान शिव और विष्णु के मिलन का प्रतीक दिन है, जिसे हरिहर मिलन भी कहा जाता है. आज के दिन दोनों देवों के सम्मुख 365 बत्ती का दीपक या दीपदान करने से अभीष्ट मनोरथ की पूर्ति होती है. बैकुण्ठ चतुर्दशी का व्रत करने से सुख, समृद्धि का आगमन और हर प्रकार के कष्टों का शमन होता है. दोनों देवो के संयुक्त पूजन व श्रद्धा भाव से अर्चन करने से जन्म कुण्डली में नवग्रह जनित कष्टों का समूल नाश होता है.त्रिपुरासुर पर विजय का प्रतीक देव-दीपावली आज
कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली की तैयारी जोर शोर से पूरी कर ली गयी है. श्रद्धालुओं का जत्था बाबा बटेश्वर स्थान में रात्रि विश्राम कर आज बुधवार को गंगा में डुबकी लगायेंगे तथा सायंकाल में मिट्टी के दीप प्रज्वलित करेंगे. संध्या ढलने पर बनारस की तर्ज पर गंगा तट व घाटों की सीढ़ियां मिट्टी के दीयों से जगमगा उठेगी. धर्म शास्त्रों के जानकार पंडित सुधीर पांडेय ने बताया कि देव दीपावली पर देवता गंगा स्नान करने पृथ्वी पर अवतरित होते हैं. भगवान शिव ने त्रिपुरासुर पर विजय प्राप्ति के बाद स्वयं देवताओं ने दीप प्रज्वलित कर दीपावली मनायी थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
