Bhagalpur news गंगा स्नान को उमड़ी भीड़
बटेश्वर व कहलगांव में हरतालिका तीज को लेकर सोमवार को दोनों जगह पर गंगा स्नान करने के लिए व्रतियों की भीड़ उमड़ पड़ी.
बटेश्वर व कहलगांव में हरतालिका तीज को लेकर सोमवार को दोनों जगह पर गंगा स्नान करने के लिए व्रतियों की भीड़ उमड़ पड़ी. अल सुबह से ही बिहार तथा सीमावर्ती क्षेत्र झारखंड के गोड्डा, महागामा, ललमटिया, पथरगामा, मेहरमा, बलवड्डा, इसीपुर बाराहाट, कस्बा, मिर्जाचौकी से ट्रेन, छोटी-बड़े वाहनों से कहलगांव और बटेश्वर के उत्तर वाहिनी गंगा तट के विभिन्न घाटों पर गंगा स्नान करने के लिए व्रतियों एवं श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. भीड़ और वाहनों की संख्या बढ़ने से एनएच-80 समेत विभिन्न सहायक सड़कों पर भीषण जाम लगा रहा. जाम से स्कूली बस, एंबुलेंस, शव जाम में घंटो फंसे रहे. इस दौरान स्कूली बच्चे पैदल चल कर ही अपने घर पहुंचे. जाम का मुख्य कारण शहर में एनएच-80 निर्माण कार्य व भारी वाहनों का परिचालन है. जाम में कहीं भी पुलिस जाम छुड़ाते नहीं दिखाई दी. राहगीरों ने वाहनों को आगे-पीछे कर जाम छुड़ाने का प्रयास कर अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचे.
आज के दिन खाली हाथ चांद का दर्शन वर्जित
गणेश चतुर्थी पर मंगलवार को किये जाने वाले चरचंदा व्रत में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन महिलाएं चंद्रमा को अर्घ अर्पित कर संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वंशवृद्धि की कामना करती हैं. पौराणिक मान्यता है कि एक बार गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने चंद्रमा का दर्शन किया. उस समय चंद्रदेव अपने सौंदर्य और तेज पर अभिमानित होकर श्रीकृष्ण का उपहास करने लगे. उन्होंने कहा कि व्रत और पूजा करने वाले लोग साधारण हैं, चंद्रमा के दर्शन का उन पर कोई प्रभाव नहीं होगा. चंद्रमा के इस उपहास से भगवान श्रीकृष्ण अप्रसन्न हुए और उन्हें श्राप दिया कि आज के दिन जो भी तुम्हारा दर्शन करेगा, उसे कलंक लगेगा. तभी से गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन वर्जित माना जाता है. पंडित शालीग्राम झा ने बताया कि व्रत में खाली हाथ चांद का दर्शन वर्जित है. कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति बिना प्रसाद, दही या भोग के चंद्रमा का दर्शन करता है, तो उसे कलंक लगने का भय रहता है, इसलिए महिलाएं पूजा के बाद केले के पत्ते पर रखे फल, पकवान या दही का बर्तन लेकर ही चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से न केवल व्रत सफल होता है, बल्कि घर में सुख-शांति बनी रहती है. संतान अकाल मृत्यु से बचता है और परिवार को मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. यही कारण है कि चरचंदा व्रत में चंद्र दर्शन की यह परंपरा पीढ़ियों से निभायी जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
