Bhagalpur news जीवन में शिक्षा और दीक्षा दोनों जरूरी : स्वामी आगमानंद

नवगछिया द्वारका स्थित दादा देव मंदिर परिसर में रविवार को एकदिवसीय सत्संग हुआ

By JITENDRA TOMAR | September 14, 2025 11:20 PM

नवगछिया द्वारका स्थित दादा देव मंदिर परिसर में रविवार को एकदिवसीय सत्संग हुआ, जिसमें दिल्ली, नोएडा, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे. सत्संग में प्रवचन देते हुए स्वामी आगमानंद महाराज ने कहा कि जिस प्रकार मछली पानी से अलग होते ही छटपटाने लगती है, उसी प्रकार भजन-कीर्तन रस के बिना सत्संग प्रेमी रह नहीं सकते. उन्होंने कहा कि जिन्होंने साधना और भक्ति का अमृत चख लिया है, उनके जीवन में सत्संग आवश्यक हो जाता है. उन्होंने अपने प्रवचन में शिक्षा और दीक्षा दोनों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन में शिक्षा और दीक्षा दोनों आवश्यक हैं. शिक्षा इच्छा से प्राप्त होती है और समय-समय पर उसका निरीक्षण जरूरी है. दीक्षा चेतना को जागृत करती है. जिसने दीक्षा न भी ली हो, वह भगवान का नाम लेकर अपनी साधना कर सकता है. परमात्मा परम शक्ति हैं और हर परिस्थिति में ईश्वर का नाम स्मरणीय है. कार्यक्रम में घोषणा की गयी कि श्री गुरुदेव अवतरण उत्सव के अंतर्गत चार और पांच जनवरी 2026 को दो दिवसीय भव्य सत्संग होगा. सत्संग-भजन कार्यक्रम में पालम विधायक कुलदीप सोलंकी, मुख्य अतिथि डॉ युगल के मिश्रा, संगम विहार विधायक चंदन चौधरी, सकल पंचायत के मुखिया रामकुमार सोलंकी, राकेश नंबरदार, ओमवीर सोलंकी, हरिश सोलंकी, भजन सम्राट डॉ हिमांशु मोहन मिश्र, संकीर्तन सम्राट स्व बांके बिहारी करील जी के सुपुत्र चेतन जी, नंदन सिंह और दिल्ली कमेटी के सदस्य उपस्थित थे.

कमलचक में भागवत कथा के दूसरे दिन उमड़ी भीड़

पीरपैंती प्रखंड के कमलचक में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान महायज्ञ को लेकर शनिवार को गाजेबाजे के साथ भव्य कलश शोभायात्रा निकाली गयी. इस दौरान काफी संख्या में स्थानीय लोग व गणमान्य उपस्थित थे. कथावाचक धनंजय जी महाराज ने कहा कि प्रतिदिन संध्या छह बजे से रात्रि 10:00 बजे तक श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान महायज्ञ की कथा का शुभारंभ रविवार को हुआ. उन्होंने कहा कि किस तरह से श्रवण कुमार अपनी माता-पिता की सेवा करते थे. इस कथा के माध्यम से उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर गहरा कुठाराघात किया. उन्होंने राजा परीक्षित प्रसंग, शुकदेव जी का जन्म और ध्रुव चरित्र,भीष्म पितामह के मोक्ष की कथा सुनायी. इस प्रसंग से श्रोताओं को संसारिक मोह माया से ऊपर उठ कर ईश्वर के प्रति भक्ति और समर्पण का महत्व भी बताया, जिससे मनुष्य जीवन-मरण के चक्र से मुक्त हो सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है