बायोटेक किसान हब ने बदली चुटिया गांव की तस्वीर, दो दर्जन से अधिक किसानों की आर्थिक स्थिति हो रही मजबूत

बायोटेक किसान हब योजना ने प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत चुटिया गांव की तस्वीर बदल दी है. जो गांव पहले परंपरागत खेती में अपने आप को समेटे हुआ था, वह अब खुल कर स्वरोजगार परक खेती व इससे संबंधित स्वरोजगार से जुड़ रहा है.

By Prabhat Khabar | March 15, 2021 12:40 PM

बिभांशु, बांका. बायोटेक किसान हब योजना ने प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत चुटिया गांव की तस्वीर बदल दी है. जो गांव पहले परंपरागत खेती में अपने आप को समेटे हुआ था, वह अब खुल कर स्वरोजगार परक खेती व इससे संबंधित स्वरोजगार से जुड़ रहा है. खेती में पहले से हुनरबंद इस के किसानों ने बायोटेक पद्धति को सफलता पूर्वक आत्मसात किया है. नतीजतन, आज इस गांव में मशरूम उत्पादन के साथ मधुमक्खी पालन हो रहा है.

हैरत की बात यह है कि पहले ही प्रयास में शहद का सफलता पूर्वक उत्पादन भी हो गया है. 32 बक्सा में 15 दिन के अंदर 56 किलो शहद तैयार किया है. हालांकि, इसके उत्पादन में आगे कई गुणा वृद्धि की संभावना है. साथ ही किसान भी आगे और जुड़ेंगे. इसके अलावा यहां मशरूम की खेती भी की जा रही है. दर्जनों महिलाएं किट लेकर सफलता पूर्वक मशरूम तैयार कर रही हैं. बायोटेक हब योजना से गांव को जोड़ने के साथ यहां अलग-अलग ग्रुप बना दिया गया है.

महिलाओं का 25 सदस्यी ग्रुप मशरूम से जुड़ी हुई हैं. इसी प्रकार मधुमक्खी पालन का भी एक ग्रुप तैयार किया गया है. बहरहाल, बायोटेक हब योजना से आर्थिक रूप से किसानों में मजबूती का प्रयास है. खास बात यह है कि इस पद्धति से घर में रह कर महिलाएं भी आर्थिक तौर पर समृद्ध बन रही हैं. ज्ञात हो कि वर्ष 2019 में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए बांका में बायोटेक किसान हब योजना लायी गयी थी. इसके लिए दो वर्ष के अंतर्गत 48 लाख रुपये खर्च करने की बात है. इस जिले में मुख्य रूप से इस पद्धति के तहत मशरुम, मधुमक्खी व बकरी पालन रणनीति है.

पंजाब व यूपी का बकरा आयेगा गांव

डीएम सुहर्ष भगत भी इस गांव में नयी पद्धति से किसानों को आत्म निर्भर होता देख इसे और विकसित करने का निर्देश दिया है. लिहाजा, जल्द ही बकरी पालन में भी चुटिया, ककवारा व कटोरिया का मेढ़ा गांव हब बन जायेगा. एक सप्ताह के अंदर ही यहां बीटल, सिरोही, जमुनापारी बारबरी सहित उच्च नस्ल का बकरा दिया जायेगा.

गांव में ग्रुप गठित कर सार्वजनिक रूप से किसानों के लिए बकरा दिया जायेगा. ताकि, भविष्य में बेहतर नस्ल का बकरी का विस्तार जिले भर में हो सके. बहरहाल, चुटिया गांव में बकरी पालन के प्रति घर-घर में जागरूकता है. मसलन, हर घर में एक-दो बकरियां पाली जा रही हैं. वैज्ञानिक धर्मेंद्र बताते हैं कि केवीके के माध्यम से बकरी उपचार का भी प्रशिक्षण महिला किसानों को दिया गया है. साथ ही कुछ जरूरी प्राथमिक उपचार की दवाइयां व टीके भी उपलब्ध कराये गये हैं.

बताते हैं किसान

राजप्रताप भारती, अशोक भारती, सुरेंद्र भारती, शकुंलता देवी, चंदा भारती, वीणा भारती सहित अन्य किसान ने बताया कि बायोटेक हब योजना से जुड़ कर स्वरोजगार परक किसानी में आगे बढ़ रहे हैं. मशरूम व मधुमक्खी की सफलता पूर्वक शुरुआत हो गयी है. जल्द ही वृहत पैमाने पर बकरी पालन का भी हब यह गांव बनेगा. डीएम के निर्देश पर शेड व बकरा उपलब्ध कराने की बात है.

कृषि विज्ञान केंद्र, बांका के समन्वयक डा मुनेश्वर प्रसाद ने कहा कि बायोटेक हब किसान योजना से चुटिया गांव को जोड़ा गया है. यहां मुख्य रूप से मशरूम, मधुमक्खी व बकरीपालन को नयी पद्धति के तहत स्वरोजगार परक बनाने की योजना है. इसमें किसानों की मेहनत व वैज्ञानिकों की सक्रियता से सफलता मिल रही है. आगे भी और कई रणनीति है.

Posted by Ashish Jha

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