Bhagalpur news श्रीमद्भागवत कथा ईश्वर भक्ति व पितृ भक्ति का अद्भुत संगम: स्वामी ज्ञानानंद

श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन प्रवचन करते स्वामी ज्ञानानन्द सरस्वती जी महाराज

By JITENDRA TOMAR | October 13, 2025 12:50 AM

कहलगांव हटिया रोड में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सह लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के तीसरे दिन परमहंस परिव्राजकाचार्य स्वामी ज्ञानानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जगत पिता परमेश्वर को प्रसन्न कर लेना एक बात है, परंतु जन्म देने वाले पिता को अधोगति से बचा लेना अद्भुत बात है. श्रीमद्भागवत संहिता ईश्वर भक्ति और पितृ भक्ति का अद्भुत संगम हैं. भक्त प्रहलाद की सर्वत्र भगवदमयी दृष्टि ने जहां खंभे से भगवान नृसिंह को प्रगट कर दिया. ईश्वर सत्ता सर्वत्र व्याप्त है. धरती, आकाश व पाताल का कोई कण खाली नहीं है. नृसिंहावतार के नृसिंहदेव ने स्तंभ से प्रगट होकर अपनी सर्वत्र व्याप्ति को सिद्ध कर दिया. भक्त अपने भगवान की आराधना कहीं भी करे. घर में, वन में, तीर्थ में, मन में या देवालय में यत्र तत्र सर्वत्र सर्व व्याप्त सनातन परमात्मा सुनता है, बोलता है, क्रीड़ा करता है. सगुण रूप से प्रगट होकर भक्त का मनोरथ पूर्ण कर देता है. पितृ उद्धार की दृष्टि ने पिता हिरण्यकश्यप को अधोगति से बचाने के लिए प्रहलाद जी ने कहा, प्रभो माना कि मेरे पिता आसुरी स्वभाव का क्रूर कर्मा दैत्य था, लेकिन प्रभु मेरा शरीर तो उसी दैत्य पिता से जन्म लिया. मैं आप सनातन धर्मा प्रभु से प्रार्थना करता हूं कि पिता की दुर्गति नहीं होनी चाहिए. भक्त प्रहलाद की वाणी सुनकर नृसिंह देव मुस्कराये और भक्त प्रहलाद के मस्तक पर अपना अमोघ वरद हस्त रख कृपालु बोल उठे, तू चिंता मत कर, मेरा भक्त है मैं तेरे एक पिता नहीं 21 पीढ़ी के पिता पितामहों को तत्काल सद्गति प्रदान कर देता हूं. उन्होंने कहा कि भक्त प्रहलाद जी के पौत्र महाराज बलि ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर श्री वामन देव को ऐसा प्रसन्न किया कि श्रीहरि का चतुर्भुज रूप दर्शन देने के लिए संकल्पबद्ध हो गये. मौके प्रो दुर्गा शरण सिंह, राजेश सिंह, बम ठाकुर, अभय पांडेय सहित अन्य धर्मपरायण लोग उपस्थित थे.

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