बिहार के लोकगीत मधुर व सुरीले मौका मिला तो जरूर गाऊंगी : श्रेष्ठ

गौतम वेदपाणि, भागलपुर : प्रभात खबर के गुरु सम्मान समारोह 2018 में बॉलीवुड गायिका पूर्णिमा श्रेष्ठ शरीक हुई. कार्यक्रम से पहले प्रभात खबर से विशेष बातचीत में उन्होंने अपनी गायकी और बॉलीवुड सफरनामे को लेकर यादगार पल को शेयर किया. उन्होंने कहा कि वह कई बार बिहार में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं. भागलपुर से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 30, 2018 5:40 AM
गौतम वेदपाणि, भागलपुर : प्रभात खबर के गुरु सम्मान समारोह 2018 में बॉलीवुड गायिका पूर्णिमा श्रेष्ठ शरीक हुई. कार्यक्रम से पहले प्रभात खबर से विशेष बातचीत में उन्होंने अपनी गायकी और बॉलीवुड सफरनामे को लेकर यादगार पल को शेयर किया. उन्होंने कहा कि वह कई बार बिहार में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं.
भागलपुर से सटे मंदार महोत्सव में अपने गायन से लोगों को झुमाया है. उन्होंने कहा कि बिहार की लोकगायकी काफी समृद्ध है. उन्हें अगर मौका मिला तो वह लोकधुनों पर आधारित गीत को गाना पसंद करेंगी. उन्होंने प्रभात खबर को गुरु सम्मान समारोह की काफी तारीफ की. उन्होंने कहा कि गुरु के बिना जीवन सफल नहीं हो सकता.
वहीं गुरु को सम्मान दिये बिना हम अज्ञानी बने रहेंगे. उन्होंने बताया कि 1994 तक वह सुषमा श्रेष्ठ के नाम से गीत गाती रहीं. इसके बाद वह अपने बचपन की दुनिया से निकलने के लिए पूर्णिमा श्रेष्ठ नाम से मशहूर हो गयी.
इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो न: अपनी फिल्मी सफल के बारे में उन्होंने बताया कि 1969 में रिकार्ड किया हुआ गीत है ना बोलो-बोलो, पापा को मम्मी से प्यार खूब सुने जा रहे हैं. फिल्म अंकुश का गाना ‘इतनी शक्ति हमें दे ना दाता मन का विश्वास कमजोर हो ना’ प्रार्थना के रूप में गाये जाने लगे.
किशोर दा के साथ तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई गीत को आरडी बर्मन साहब ने गाने का मौका दिया था. इसके बाद अब तक दर्जनों सुप्रसिद्ध गायक व संगीतकार के साथ काम करने का उनको सौभाग्य प्राप्त हुआ. नब्बे के दशक में कुमार सानू के साथ उन्होंने कई हिट गाने गाये. वर्तमान में बाॅलीवुड गीतों को लेकर उन्होंने कहा कि बदलाव हर दशक में हो रहा है. हमें समय के साथ चलना होगा. धारा के विपरीत हम चल नहीं सकते.
पिता से मिली संगीत की प्रेरणा : मशहूर पार्श्व गायिका पूर्णिमा श्रेष्ठ ने बताया कि उनके पिता भोला नाथ संगीतकार थे. उन्हीं से संगीत की दुनिया में कदम रखने की प्रेरणा मिली. इसके बाद ताज अहमद खां से 15 वर्ष तक संगीत की शिक्षा ली. उन्होंने बताया कि अन्नू मलिक के गीत बरसात में जब आयेगा सावन का महीना के बाद डेविड धवन की कई फिल्मों में गाने का मौका मिला.
गायकी में कॅरियर बनाने के टिप्स दिये
पूर्णिमा श्रेष्ठ ने बताया कि आज भी मेहनतकश कलाकार हैं, जो मूल संगीत की परंपराओं के साथ अपनी नयी राह बना रहे हैं. बिहार से संगीत का अद्भुत जुड़ाव है, जो कलाकारों को उत्साह बढ़ाने में काम आता है. उन्होंने बताया कि मेहनत अगर ईमानदारी और साफ नीयत से किया जाये तो हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता.
होता रहे गुरु सम्मान समारोह
महेश यादव, पीरपैंती – सार्वजनिक रूप से गुरु को सम्मान देना अपने आप में अनुपम कार्य है. ऐसे कार्यक्रम होते रहना चाहिए. गायिका पूर्णिमा के गाने ने सभी का दिल जीत लिया.
दीपक कुमार भुवानिया, पूर्व मेयर, कार्यक्रम अपने आप में शानदार था. गुरु को सम्मान मिला. ऐसे कार्यक्रम को आयोजित कर प्रभात खबर ने एक उदाहरण पेश किया है.
मनोज सिंह, पीरपैंती – इस तरह का कार्यक्रम करने में प्रभात खबर का कोई सानी नहीं है. ऐसे कार्यक्रमों से स्थानीय कलाकारों और शिक्षकों को कुछ बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी.

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