मंदिरों में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई गई अक्षय नवमी
अक्षय नवमी को लेकर शहरी क्षेत्र से लेकर गांव में जगह-जगह लोगों ने श्रद्धापूर्वक आंवले के वृक्ष की पूजा अर्चना की.
बौंसी. कार्तिक शुक्ल नवमी के पावन अवसर पर गुरुवार प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों में अक्षय नवमी पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया. तड़के से ही मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगी रही. मुख्य रूप से ऐतिहासिक मधुसूदन मंदिर और मंदार तराई में अवस्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा अर्चना किया गया. अक्षय नवमी को लेकर शहरी क्षेत्र से लेकर गांव में जगह-जगह लोगों ने श्रद्धापूर्वक आंवले के वृक्ष की पूजा अर्चना की. वृक्ष की पूजा अर्चना करने के बाद टोलियों में जमा होकर श्रद्धालुओं ने आंवला के वृक्ष के नीचे खाना बनाया और पूरे परिवार के साथ वहीं प्रसाद ग्रहण किया. लगातार हो रही बारिश के बावजूद भी श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं देखी गयी. श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और आंवला वृक्ष की पूजा कर अक्षय पुण्य की प्राप्ति का संकल्प लिया.
मधुसूदन मंदिर में विशेष अनुष्ठान
मधुसूदन मंदिर में इस अवसर पर विशेष अनुष्ठान और पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया. प्रातः काल मंगल आरती के बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान मधुसूदन का अभिषेक हुआ. मंदिर परिसर में स्थित आंवला वृक्ष की पूजा कर भक्तों ने परिक्रमा की और तुलसी-विष्णु आराधना की.धार्मिक महत्व
पंडित अवधेश ठाकुर नहीं अक्षय नवमी के धार्मिक महत्व को बताते हुए कहा कि पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने आंवला वृक्ष के नीचे लक्ष्मीजी के साथ निवास किया था. इसलिए इस तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी कहा जाता है. माना जाता है कि इस दिन किया गया दान और पूजा कभी नष्ट नहीं होती और अनंत फल प्रदान करती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
