महिलाएं परिवार, समाज व कार्यस्थल-तीनों स्तरों पर निभा रहीं बहुआयामी भूमिका : इस्लाम
दाउदनगर कॉलेज में महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर महिला प्रकोष्ठ ने आयोजित किया सेमिनार
दाउदनगर कॉलेज में महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर महिला प्रकोष्ठ ने आयोजित किया सेमिनार दाउदनगर. दाउदनगर कॉलेज, दाउदनगर के महिला प्रकोष्ठ द्वारा आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार में महिलाओं से जुड़ी मानसिक समस्याओं, उनके समाधान और जागरूकता पर विस्तृत चर्चा हुई. उद्घाटन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. कॉलेज की कला सृजन विभाग की छात्राओं ने विश्वविद्यालय कुलगीत एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया. महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो डॉ एमएस इस्लाम ने सभी अतिथियों का स्वागत किया. अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य ने कहा कि वर्तमान समय में मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर सामाजिक विषय बन चुका है, विशेषकर महिलाओं के संदर्भ में. महिलाएं परिवार, समाज और कार्यस्थल—तीनों स्तरों पर बहुआयामी भूमिकाएं निभाती हैं, जिसके कारण वे मानसिक दबाव और तनाव का सामना करती हैं, लेकिन अक्सर अपनी समस्याओं को स्वयं तक सीमित रखती हैं. प्राचार्य ने यह भी कहा कि मानसिक स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत विषय नहीं, बल्कि सामाजिक विकास से जुड़ा प्रश्न है. यदि महिलाएं मानसिक रूप से सशक्त होंगी, तभी परिवार और समाज संतुलित एवं प्रगतिशील बन सकेगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थानों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वे विद्यार्थियों, विशेषकर छात्राओं के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाएं और उन्हें सहयोगपूर्ण वातावरण उपलब्ध कराएं. मुख्य वक्ता के रूप में मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के मनोविज्ञान विभाग की वरिष्ठ सहायक प्राध्यापिका डॉ मीनाक्षी ने ब्रेकिंग साइलेंस : महिलाओं की मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियां विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में महिलाएं पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक जिम्मेदारियों का बोझ उठाते हुए अक्सर अपने मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा करती हैं. डॉ मीनाक्षी ने चिंता, अवसाद, तनाव और आत्मसम्मान की कमी जैसी समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका मुख्य कारण भावनाओं को दबाना, सामाजिक अपेक्षाओं का दबाव और निर्णय प्रक्रिया में सीमित स्वतंत्रता है. उन्होंने जोर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर चुप्पी सबसे बड़ी बाधा है, जिसे तोड़ना समय की आवश्यकता है. संस्कृत विभाग की वरिष्ठ सहायक प्राध्यापिका डॉ ममता मेहरा ने मानसिक स्वास्थ्य पर वैदिक मंत्रों का प्रभाव विषय पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि वैदिक मंत्रों का नियमित जाप मानसिक शांति, एकाग्रता और सकारात्मक सोच को बढ़ाता है. डॉ मेहरा ने बताया कि वैदिक मंत्र केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे मानसिक संतुलन, आत्मशांति और सकारात्मक ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोत हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा आधुनिक मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का प्रभावी समाधान प्रस्तुत करती है, आवश्यकता केवल इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझकर अपनाने की है. कार्यक्रम के सफल आयोजन में महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका डॉ शहला बानो एवं समन्वयक डॉ. रोजी कांत की महत्वपूर्ण भूमिका रही. दोनों शिक्षिकाओं ने महिला उत्पीड़न एवं हिंसा के विरुद्ध भारतीय संविधान में वर्णित विभिन्न कानूनों की चर्चा की. संचालन डॉ. शहला बानो और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रोजी कांत ने किया. मौके पर पीआरओ डॉ. देव प्रकाश सहित शिक्षकगण, शोधार्थी और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.
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