दाउदनगर-बारुण रोड पर स्वास्थ्य विभाग के क्वार्टर जर्जर, नशेबाजों का बन रहा अड्डा

लंबी दूरी तय कर पीएचसी में ड्यूटी करने पहुंचते हैं चिकित्सक व अन्य कर्मचारी

By SUJIT KUMAR | December 16, 2025 6:01 PM

लंबी दूरी तय कर पीएचसी में ड्यूटी करने पहुंचते हैं चिकित्सक व अन्य कर्मचारी

दाउदनगर. दाउदनगर-बारुण रोड में स्थित स्वास्थ्य विभाग का सरकारी क्वार्टर ध्वस्त होने की कगार पर हैं. क्वार्टरों की स्थिति पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. दीवारों में झाड़ियां उग आयी हैं और जगह-जगह घास-फूस फैल गया है. इन क्वार्टरों का निर्माण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के समय, यानी वर्ष 1963 के आसपास हुआ था. वर्तमान में इन क्वार्टरों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. एक-दो क्वार्टरों में ही कर्मचारी रह रहे हैं, वह भी अपनी ओर से मरम्मत कराकर. वर्षों पहले ये क्वार्टर गुलजार रहा करते थे. यहां कई चिकित्सक और नर्स रहते थे, लेकिन अब अधिकतर खाली पड़े हैं और पूरे परिसर में वीरानगी छाई है. यह एक बड़ा भूखंड है, जो नगर पर्षद कार्यालय के सामने से लेकर दाउदनगर थाना की चहारदीवारी तक फैला है. पुराने और जर्जर क्वार्टरों में झाड़ियां और घास-फूस उग आये हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि रात होते ही परिसर के कुछ हिस्सों में नशेबाजों का जमावड़ा लग जाता है, जिससे आसपास के लोगों को परेशानी होती है.

इन क्वार्टरों में रहते थे चिकित्सा पदाधिकारी व एलएचबी

स्वास्थ्य कर्मियों के अनुसार ये सरकारी क्वार्टर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दाउदनगर में कार्यरत चिकित्सक और अन्य कर्मियों के आवास के लिए बनाये गये थे. चार क्वार्टर चिकित्सा पदाधिकारियों के लिए थे, जो तीन कमरों वाले थे. नगर पर्षद कार्यालय के ठीक सामने वाला क्वार्टर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के लिए था, जबकि उसके अगल-बगल के क्वार्टर अन्य चिकित्सा पदाधिकारियों के लिए थे. इन क्वार्टरों में कई विख्यात चिकित्सक रह चुके हैं. दो कमरों वाले क्वार्टरों में एलएचबी, एएनएम व अन्य स्टाफ रहा करते थे. समुचित देखरेख के अभाव में सभी क्वार्टरों की स्थिति दयनीय हो गयी है. कुछ क्वार्टर पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं और कुछ हिस्सों में अतिक्रमण भी होने लगा है.

किराये के मकान में रहने को मजबूर स्वास्थ्यकर्मी

वर्तमान स्थिति यह है कि स्थानांतरित होकर यहां आने वाले अधिकांश स्वास्थ्यकर्मी किराये के मकान में रहने को मजबूर हैं. पीएचसी में पदस्थापित चिकित्सक को ड्यूटी के दौरान पीएचसी में ही रहना पड़ता है, लेकिन इमरजेंसी ड्यूटी के लिए वहां भी सुविधाजनक कमरा उपलब्ध नहीं है. कई स्वास्थ्यकर्मी अपने घर या किराये के मकान से आवागमन करते हैं, जिससे उन्हें विशेषकर रात के समय काफी परेशानी होती है. सूत्रों के अनुसार एक चिकित्सा पदाधिकारी गया जी से आवागमन करते हैं, जबकि एक भखरुआं में किराये पर रहते हैं. एक चिकित्सक पटना से आते-जाते हैं. आयुष चिकित्सकों में एक रफीगंज, एक गया जी, दो डेहरी व एक अरवल से आवागमन करते हैं. एएनएम सहित अधिकतर स्वास्थ्यकर्मी किराये के मकानों में रहते हैं. स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि आवासीय सुविधा होने से ड्यूटी करने में सहूलियत होती है, खासकर इमरजेंसी सेवाओं में किराये के मकान या दूर से आवागमन करने में काफी असुविधा होती है. आश्चर्य की बात यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की इस जमीन और जर्जर हो रहे क्वार्टरों की ओर स्वास्थ्य विभाग का ध्यान नहीं है. स्थानीय स्तर पर मिली जानकारी के अनुसार विभागीय स्तर पर भी अब तक इसकी समुचित जानकारी नहीं दी गयी है, जबकि सभी पदाधिकारी और कर्मचारी इस स्थिति से भली-भांति अवगत हैं.

एक क्वार्टर में रह रहे चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी

एक क्वार्टर में पीएचसी के चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी राजेंद्र राम रहते हैं. उन्होंने बताया कि क्वार्टर पूरी तरह जर्जर हो चुका है. छत पर प्लास्टिक लगाकर किसी तरह रहना पड़ रहा है. शाम होते ही सुनसान परिसर में नशेबाजों का अड्डा बन जाता है, जिसे हटाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

क्या कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ यतींद्र प्रसाद ने बताया कि उनके कार्यालय स्तर से आवासीय समस्या के संबंध में विभागीय स्तर पर कोई सूचना नहीं दी गयी है. केवल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन की जर्जर स्थिति से ही विभाग को अवगत कराया गया है. उस भवन के निर्माण का भी इंतजार किया जा रहा है.

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