जिले में आलू की खेती को बढ़ावा, 40 हेक्टेयर में उत्पादन का लक्ष्य

फसल लगाने के लिए किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर मिलेगा आलू का बीज, लेडी रोसेटा टिश्यू कल्चर आलू की होगी खेती : डीएचएओ

By SUJIT KUMAR | November 22, 2025 6:28 PM

फसल लगाने के लिए किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर मिलेगा आलू का बीज

लेडी रोसेटा टिश्यू कल्चर आलू की होगी खेती : डीएचएओ

प्रतिनिधि, औरंगाबाद/कुटुंबा

सरकार का उद्यान विभाग फल-फूल के साथ साग-सब्जी और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रहा है. इसी क्रम में इस बार औरंगाबाद जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आलू की खेती की योजना बनायी गयी है. आलू की बढ़ती उपयोगिता और बाजार में मांग को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है. जिला उद्यान कार्यालय के अनुसार जिले में 40 हेक्टेयर भूमि में आलू की फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. निर्धारित लक्ष्य के अनुसार 25 प्रतिशत बीज एससी-एसटी श्रेणी के किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा. इस श्रेणी के किसान पांच हेक्टेयर भूमि में फसल लगायेंगे. वहीं 35 हेक्टेयर में खेती के लिए सामान्य और पिछड़ा वर्ग के किसानों को बीज दिया जायेगा. रामपुर गांव के सेवानिवृत्त बीएओ रामचंद्र सिंह और रसलपुर निवासी बुजुर्ग किसान शिवनाथ पांडेय बताते हैं कि आलू की खेती प्रभावित होने से अन्य सब्जियों के दाम आसमान छूने लगते हैं. ऐसे में आलू की खेती को बढ़ावा देना सरकार का सराहनीय कदम है. इधर, विराज बिगहा के किसान टिंकू पांडेय और नरचाई के सोनू कुमार सिंह आलू की खेती से अच्छी आमदनी कर रहे हैं. सोनू ने बताया कि इस बार दो एकड़ भूमि में आलू लगाया है. फसल रोपते समय उन्होंने प्रति कट्ठा 500 किलोग्राम यूरिया के साथ माइकोराइजा और जाइम का प्रयोग किया है. उन्होंने कहा कि मौसम अनुकूल रहा तो बेहतर उपज मिलने की उम्मीद है.

क्या है लेडी रोसेटा आलू

बीएचओ रजनीश कुमार ने बताया कि लेडी रोसेटा टिश्यू कल्चर जी-3 एक उन्नत किस्म का आलू है. यह आलू प्रसंस्करण के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसमें नमी कम और स्टार्च की मात्रा अधिक होती है. टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार यह उच्च गुणवत्ता वाला बीज फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद करेगा. यह प्रजाति अगेती और पछेती झूलसा रोग के प्रति रेसिस्टेंट है इसलिए पौधा झुलसा रोग से सुरक्षित रहता है. बीएचओ आशुतोष कुमार सक्सेना ने बताया कि लेडी रोसेटा आलू का उपयोग सब्जी, भूंजिया, चिप्स, फ्रेंच फ्राइज सहित कई आलू आधारित खाद्य पदार्थ बनाने में किया जाता है.

फसल लगाने से पहले बीजोपचार बेहद जरूरी

मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने बताया कि आलू की रोपाई से पहले बीजोपचार अनिवार्य है. माइक्रोजेब या वेभेस्टिन इसके लिए उपयुक्त दवा है. उन्होंने कहा कि बुवाई के समय 10 से 15 सेमी की गहरायी. 50 से 60 सेमी पंक्ति से पंक्ति दूरी और 15 से 20 सेमी पौधे से पौधे की दूरी रखने से उपज बेहतर होती है. बुवाई के 15 से 20 दिन बाद पहली सिंचाई और मेढ़ पर मिट्टी चढ़ाते हुए 10 से 15 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करने की सलाह दी. बुवाई से एक माह पहले प्रति हेक्टेयर 25 से 35 टन गोबर की खाद डालने से उपज की गुणवत्ता और पोषकता बढ़ती है. मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरक प्रयोग करने से उत्पादन और बेहतर होता है. सामान्यतः प्रति हेक्टेयर 120 से 150 किग्रा नत्रजन. 80 से 100 किग्रा फास्फोरस और 100 से 120 किग्रा पोटाश देना चाहिए. नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई से पहले और शेष आधी 30 से 35 दिन बाद मिट्टी चढ़ाते समय देना अधिक लाभकारी होता है.

क्या कहते हैं सहायक उद्यान निदेशक

सहायक उद्यान निदेशक डॉ श्रीकांत ने बताया कि लेडी रोसेटा टिश्यू कल्चर आधारित रोग प्रतिरोधी किस्म है. सरकार किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर बीज उपलब्ध करा रही है. अगले सप्ताह 25 नवंबर से बीज वितरण शुरू किया जायेगा. इसके लिए किसानों का पंजीकरण, जमीन की रसीद और आधार कार्ड आवश्यक है. इच्छुक किसान संयुक्त कृषि भवन स्थित कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन कर बीज उठा सकते हैं. बीएचओ या कार्यालय सहायक के मोबाइल पर एडवांस डिमांड भी की जा सकती है. एक किसान 10 कट्ठा से दो हेक्टेयर तक भूमि में आलू लगा सकता है.

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