कुंडली ज्योतिष भारत में सबसे लोकप्रिय विद्या : जिला जज

ज्योतिष विद्या के जनक थे भृगु ऋषि, मना महोत्सव

By SUDHIR KUMAR SINGH | November 17, 2025 6:48 PM

ज्योतिष विद्या के जनक थे भृगु ऋषि, मना महोत्सवऔरंगाबाद शहर. जनेश्वर विकास केंद्र एवं महोत्सव परिवार के तत्वाधान में शहर के अधिवक्ता संघ सभागार में ज्योतिष विद्या के जनक महर्षि भृगु महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता जनेश्वर विकास केंद्र के अध्यक्ष रामजी सिंह ने की. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला जज राजकुमार, लॉर्ड बुद्धा पब्लिक स्कूल के निदेशक धनंजय कुमार, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा, ज्योतिषाचार्य श्रीराम पांडेय, ज्योतिषाचार्य शिव नारायण सिंह, विधि संघ के पूर्व अध्यक्ष रसिक बिहारी, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संजय सिंह, प्रेमेंद्र मिश्रा सहित अन्य शामिल हुए. सभी अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. खेल कौशल के संयोजक वीरेंद्र सिंह, साहित्य संवाद के अध्यक्ष लालदेव प्रसाद, कला कौशल मंच के अध्यक्ष आदित्य श्रीवास्तव, प्रो दिनेश प्रसाद, कवि लवकुश प्रसाद, अशोक सिंह सहित सभी लोगों ने अतिथियों को मोमेंटो देते हुए वंदे मातरम सम्मान से सम्मानित करते हुए उनका स्वागत किया. रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति भी दी गयी. मुकेश चौबे, राम श्याम, बबन तिवारी, राम श्लोक विश्वकर्मा आदि कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से खूब तालियां बटोरी. जिला जज ने कहा कि कुंडली ज्योतिष भारत में सबसे लोकप्रिय ज्योतिष विद्या है. इस विद्या के माध्यम से किसी व्यक्ति के जन्म के समय आकाश में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर उसका भविष्य जाना जाता है. ज्योतिष विद्या के जनक महर्षि भृगु ऋषि थे. ऐसे आयोजनों के माध्यम से ऐसे लोगों को याद करना तथा भारत की संस्कृति व सभ्यता को रक्षा करने का यह सराहनीय प्रयास है.

तीन प्रमुख भागों में बांटा गया है कुंडली ज्योतिष

श्रीराम पांडेय ने कहा कि कुंडली ज्योतिष को तीन प्रमुख भागों में बांटा गया है होरा शास्त्र, संहिता ज्योतिष और सिद्धांत ज्योतिष. इसमें व्यक्ति की कुंडली का गहराई से विश्लेषण किया जाता है और इसके आधार पर स्वास्थ्य, करियर, विवाह, धन और अन्य जीवन के पहलुओं के बारे में भविष्यवाणी की जाती है. यह विद्या ऋषि-महर्षियों के समय से चला रहा है और ज्योतिष के जनक भृगु ऋषि को याद करना निश्चित रूप से लोगों को अपने इतिहास को जानने का अवसर मिलेगा. धनंजय कुमार ने कहा कि भृगु ऋषि हिंदू धर्म में एक महान सप्त ऋषियों (सप्तर्षि) में से एक माने जाते हैं. वे वैदिक काल के प्रमुख ऋषि थे और उन्हें अद्वितीय ज्ञानी, योगी और ज्योतिषी के रूप में जाना जाता है. भृगु ऋषि ने वेदों की रचना में भी योगदान दिया था और उनके द्वारा लिखित ग्रंथों में से एक भृगु संहिता ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण कृति मानी जाती है. भृगु ऋषि के कई पौराणिक कथाएं हैं जो उनकी दिव्य दृष्टि और शक्तियों के बारे में बताती है.

ज्योतिष विद्या भगवान शिव जी के समय में शुरू हुई

कार्यक्रम का संचालन करते हुए सिद्धेश्वर विद्यार्थी एवं आदित्य श्रीवास्तव ने कहा कि ज्योतिष विद्या भगवान शिव जी के समय में शुरू हुई. कार्तिकेय घर पर टिकते नहीं थे. सदा घूमते रहते थे तो पार्वती जी ने इसकी शिकायत शिव जी से की. शिव जी ने कार्तिकेय को बुलाया और घर पर न रुकने का कारण पूछा तो कार्तिकेय ने कहा कि उन्हें सारी सृष्टि में जो कुछ हो रहा है उसकी जानकारी जुटाने के लिए मैं घूमता रहता हूं.शिवजी ने कहा कि मैं ऐसी विद्या तुम्हे देता हूं कि तुम यहीं बैठ कर किसी भी व्यक्ति, समाज या विश्व की जानकारी प्राप्त कर सकते हो. उस समय माता सरस्वती की सहायता लेकर इस विद्या की रचना की और कार्तिकेय को प्रदान की. कार्तिकेय से भृगु ऋषी और अन्य ऋषियों ने विद्या प्राप्त की.

11 हजार लोगों की जन्म कुंडली बनाया

कार्यक्रम के प्रायोजक ज्योतिषाचार्य शिव नारायण सिंह ने कहा कि यह महोत्सव मेरे माता-पिता की स्मृति में आयोजित हुआ है. ज्योतिष विद्या से मेरे माता-पिता का भी लगाव रहा है और उसी का अनुकरण करते हुए हमने भी ज्योतिष विद्या का शिक्षा लिया और लगभग 11 हजार लोगों की जन्म कुंडली बनाया है. इसलिए ज्योतिष विद्या के जनक भृगु ऋषि की महोत्सव मनाने का निर्णय लिया. इस कार्यक्रम में सभी महोत्सव समिति के सदस्यों को वंदे मातरम सम्मान से सम्मानित किया गया. इस मौके पर उज्जवल रंजन, मनीष पांडेय, आशुतोष पाठक, अशोक पांडेय, प्रमोद सिंह, दीपक कुमार, विनय सिंह, धीरेंद्र सिंह, रामभजन सिंह, अविनाश कुमार, सुधीर कुमार, करण मिश्रा, श्रीराम राय अन्य कई लोग मौजूद थे.

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