चंद्रवरदाई महोत्सव में पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की चर्चा
पृथ्वीराज चौहान चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता राघवेंद्र प्रताप नारायण सिंह व संचालन मीडिया प्रभारी सुरेश विद्यार्थी ने किया
औरंगाबाद ग्रामीण. जिला मुख्यालय स्थित पृथ्वीराज चौहान स्मृति स्थल के प्रांगण में महान साहित्यकार चंद्रवरदाई जी की जयंती समारोह चंद्रवरदाई महोत्सव के रूप में मनायी गयी. पृथ्वीराज चौहान चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता राघवेंद्र प्रताप नारायण सिंह व संचालन मीडिया प्रभारी सुरेश विद्यार्थी ने किया. सर्वप्रथम चंद्रवरदाई जी के आदमकद प्रतिमा पर उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की. तत्पश्चात उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा करते हुए समकालीन जवाबदेही पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने बताया कि चंद्रवरदाई ने साहित्य रचना के साथ-साथ अपने मित्र के साथ युद्ध कौशल भी दिखाया. जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि पृथ्वीराज रासो काव्य अपभ्रंश भाषा में लिखी गयी है. रासो का अंतिम चार उद्धरण जल्हण ने लिखा है. ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष रामप्रवेश सिंह ने कहा कि चंद्रवरदाई पृथ्वीराज रासो के रचयिता थे. इस ग्रंथ में उन्होंने पृथ्वीराज के वीरता का बखान किया है. जनार्दन मिश्र जलज द्वारा काव्यात्मक स्वरूप में उनके संपूर्ण जीवन पर चर्चा की गयी. अध्यक्षीय उद्बोधन में राघवेंद्र प्रताप नारायण सिंह ने कहा कि औरंगाबाद भारत का पहला जगह है जहां पृथ्वीराज के साथ-साथ चंद्रवरदाई की भी प्रतिमा लगी है. इसके माध्यम से युवा पीढ़ी को अपने अतीत के गौरवशाली इतिहास को जानने व समझने का अवसर मिलता है. कार्यकारी अध्यक्ष जगदीश सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया. ट्रस्ट के उपाध्यक्ष डॉ संजीव रंजन, प्रमंडलीय माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामभजन सिंह, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष पुरुषोत्तम सिंह, वरीय सदस्य कौशलेंद्र प्रताप नारायण सिंह, गोरखनाथ सिंह, शैलेंद्र सिंह भोला सिंह, राम सुरेश सिंह आदि लोगों ने चंद्रवरदाई को वीरता का प्रतीक बताते हुए उनके आख्यानों को वर्तमान समय में अपनाने के लिए कृत संकल्पित होने की बात कही.
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