दादर गांव में श्रीराम कथा से भावविभोर हुए श्रद्धालु, भरत के त्याग का हुआ भावपूर्ण वर्णन
गोह प्रखंड के दादर गांव में आयोजित श्रीराम कथा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही
गोह. गोह प्रखंड के दादर गांव में आयोजित श्रीराम कथा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. कथा के दौरान सतना (मध्य प्रदेश) से आये प्रसिद्ध कथावाचक पंडित आदित्य प्रकाश त्रिपाठी ने श्रीराम और भरत के चरित्र का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि व्यावहारिक दृष्टि से वनवास का सबसे बड़ा कष्ट भरत ने ही भोगा. पंडित आदित्य प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि माता कैकेयी द्वारा श्रीराम, लक्ष्मण व सीता को 14 वर्षों का वनवास दिया गया. लेकिन, सांसारिक सुखों का पूर्ण त्याग कर तपस्वी जीवन जीने वाले भरत ही सच्चे अर्थों में वनवासी बने. भरत ने अयोध्या की धरती पर गड्ढा खोदकर उसमें आसन लगाकर 14 वर्षों तक कठोर तपस्या की. उन्होंने मांडवी जैसी सुंदर पत्नी को 14 वर्षों में एक बार भी नहीं देखा और स्वयं को राम वनवास का कारण मानकर निरंतर पश्चाताप की अग्नि में जलते रहे. कथावाचक ने बताया कि जब श्रीराम वनवास से लौटे तो भरत ने अयोध्या की संपत्ति और सीमा को दस गुना बढ़ाकर प्रभु श्रीराम के चरणों में अर्पित कर दिया. उन्होंने कहा कि यथा राजा तथा प्रजा की कहावत को चरितार्थ करते हुए अयोध्या की प्रजा ने भी 14 वर्षों तक नये वस्त्र, आभूषण व उत्सवों का त्याग किया. इस दौरान न कोई विवाह हुआ और न ही कोई उत्सव मनाया गया. अवधवासी दिन में एक बार भोजन कर प्रभु श्रीराम के आगमन की प्रतीक्षा करते रहे. उन्होंने इसे विश्व इतिहास की अद्भुत घटना बताते हुए कहा कि 14 वर्षों तक पादुकाओं के माध्यम से राज्य का संचालन हुआ. नगरवासियों को पूर्ण विश्वास था कि पादुकाओं के रूप में स्वयं श्रीराम ही सिंहासन पर विराजमान हैं. वहीं, श्रीराम ने चित्रकूट में 12 वर्षों तक राजाओं जैसा जीवन जिया, जहां कोल, किरात, वनवासी और पशु-पक्षी भी उनकी सेवा में लगे रहे. कथावाचक ने भावपूर्ण शब्दों में कहा कि जिसे वनवास मिला, वह चित्रकूट में आनंदित रहा और जिसे राज्य मिला, वह राजधानी में रहकर वनवासी का जीवन जीता रहा. भरत के इसी महान त्याग से रामराज्य की नींव पड़ी. कथा के दौरान श्रद्धालु भावविभोर हो उठे.कथा के आयोजक एवं वरिष्ठ समाजसेवी मनोज शर्मा ने सभी श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए नियमित रूप से कथा में उपस्थित होने का अनुरोध किया. यह श्रीराम कथा आगामी 20 दिसंबर तक प्रतिदिन सायंकाल छह बजे से नौ बजे तक आयोजित की जा रही है. वहीं प्रतिदिन प्रातःकाल वैदिक पूजन एवं श्रीरामचरितमानस का पाठ आचार्य गौरी शंकर जी द्वारा संपन्न कराया जा रहा है.
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