पर्यावरण के बदलाव से मनुष्य के स्वास्थ्य पर हो रहा खतरनाक असर
जैव–एरोसोल, प्रदूषक व विंटर रेस्पिरेटरी एपिडेमिक विषय पर हुआ सेमिनार
जैव–एरोसोल, प्रदूषक व विंटर रेस्पिरेटरी एपिडेमिक विषय पर हुआ सेमिनार दाउदनगर. दाउदनगर महाविद्यालय के प्रेमचंद सभागार में जैव–एरोसोल, प्रदूषक व विंटर रेस्पिरेटरी एपिडेमिक विषय पर वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा सेमिनार का आयोजन किया गया. महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो डॉ एमएस इस्लाम ने अध्यक्षता करते हुए सूक्ष्म कणों के एरोसोल में बढ़ने के कारण पौधों पर होने वाले हानिकारक असर पर अपने शोध पत्र के माध्यम से प्रकाश डाला. उन्होंने ने वर्तमान में दिल्ली जैसे महानगरों में सर्दियों में होने वाली पर्यावरणीय समस्याओं का मनुष्यों के स्वास्थ्य पर हो रहे खतरनाक असर के विषय में भी बताया. महाविद्यालय के छात्रा खुशबू व सन्नी ने अस्थमा तथा प्रदूषण विषय पर अपने वक्तव्य रखे. वनस्पति विज्ञान के डॉ सुमित कुमार मिश्र ने अपने वक्तव्य में शीत ऋतु में प्रदूषण, सूक्ष्म जैविक कणों (बायो-एरोसोल्स) और श्वसन रोगों के बीच जटिल संबंधों को वैज्ञानिक दृष्टि से समझाया. उन्होंने बताया कि कैसे कम तापमान, तापीय उलटाव और बढ़े हुए पीएम 2.5 स्तर वायरस एवं बैक्टीरिया के प्रसार को बढ़ावा देते हैं. डॉ मिश्र ने अंतरराष्ट्रीय शोधों, वास्तविक आंकड़ों और हालिया मेटा-विश्लेषणों का उपयोग करते हुए यह स्पष्ट किया कि प्रदूषित हवा न केवल सूक्ष्मजीवों के वाहक के रूप में कार्य करती है, बल्कि फेफड़ों की प्रतिरक्षा क्षमता को भी कमजोर करती है. उन्होंने बायो-एरोसोल सैंपलिंग तकनीकों, हेपा फिल्ट्रेशन तथा सामुदायिक एवं नीतिगत स्तर पर आवश्यक कदमों पर भी व्यापक चर्चा की. उन्होंने छात्रों को पर्यावरणीय चुनौतियों को जैविक परिप्रेक्ष्य से समझने तथा अनुसंधान एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य में इनके उपयोग को लेकर प्रेरित किया. मंच संचालन डॉ रोजी कांत तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ श्रीनिवास सिंह ने किया. मौके पर पीआरओ डॉ देव प्रकाश के अलावे अन्य शिक्षक- शिक्षिका तथा बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे.
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