भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है कृषि : प्रमुख

रबी प्रशिक्षण सह किसान गोष्ठी : उन्नत कृषि और समेकित खेती पर किसानों को मिली मार्गदर्शना

By SUJIT KUMAR | December 17, 2025 6:21 PM

रबी प्रशिक्षण सह किसान गोष्ठी : उन्नत कृषि और समेकित खेती पर किसानों को मिली मार्गदर्शना

औरंगाबाद/कुटुंबा. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला रही है. ये बातें प्रमुख धर्मेंद्र कुमार ने कही. वे बुधवार को प्रखंड परिसर में आयोजित रबी प्रशिक्षण सह किसान गोष्ठी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि देश की आधी से अधिक आबादी कृषि पर आश्रित है. अधिकांश लोगों का रोजी-रोजगार और गुजर-बसर खेती पर निर्भर है. बिहार को समृद्ध व सशक्त राज्य बनाने के लिए उन्नत कृषि आवश्यक है. बेहतर कृषि के बिना राष्ट्र के विकास की परिकल्पना संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि सरकार के कृषि विभाग नित्य नये प्रयोग कर रहे हैं. खेती की उपज से आमदनी दोगुनी करने के लिए किसानों को अनुदान पर बीज और उपकरण दिये जा रहे हैं. इसे धरातल पर ईमानदारी से लागू करना जरूरी है. कार्यक्रम का उद्घाटन प्रमुख के साथ बीस सूत्री अध्यक्ष प्रवीण गुप्ता, उपाध्यक्ष हरेंद्र कुमार, बीडीओ प्रियांशु बसु, आत्मा अध्यक्ष बृजकिशोर मेहता, मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनूप कुमार चौबे, बीएओ दीपक और पूर्व जिप सदस्य अजय भुइंया ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. बीडीओ ने कहा कि किसान अपनी फसलों में असंतुलित मात्रा में यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं, जो शुभ संकेत नहीं है. इससे भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है और पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. कृषि पर मौसम का भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

समेकित कृषि प्रणाली अपनाएं : बीएओ

रबी गोष्ठी के दौरान बीएओ ने बताया कि रसायनिक उर्वरक और दवाओं का असर मानव से लेकर जलीय जीव और मित्र कीट के जीवन चक्र पर पड़ रहा है. उन्होंने किसानों को धान और गेहूं की खेती के साथ समेकित कृषि प्रणाली अपनाने की सलाह दी, जिससे घर में समृद्धि आयेगी. बीएओ ने जीरो टिलेज मशीन से गेहूं की बुआई करने पर जोर दिया. इससे कम लागत में अधिक उपज होगी और बीज की बचत भी होगी. जीरो टिलेज से बुआई करने पर उर्वरक सीधे मिट्टी में मिल जाता है, सिंचाई कम करनी पड़ती है, पानी की बचत होती है और हल्की जुताई के कारण फसल में खरपतवार कम उगते हैं. इसके अलावा ईंधन की बचत होती है और कल्टीवेटर चलाने की आवश्यकता नहीं होती. उन्होंने बताया कि दलहनी फसलों के बीज को फंफूदनाशी दवा और राईजोबियम कल्चरसे उपचारित करके ही बुआई करनी चाहिए. इससे बीज जनित बीमारियां नष्ट हो जाती हैं और अंकुरित होने के प्रारंभिक स्टेज में फसल पर कीट का अटैक नहीं होता.

आत्मा और जिला उद्यान विभाग की पहल

आत्मा अध्यक्ष बृजकिशोर मेहता ने बताया कि कुटुंबा के किसान फल-फूल और औषधीय खेती में बेहतर कर रहे हैं. किसान को आत्मा के तहत अनुदानित दर पर रबी बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. जिला उद्यान विभाग से आम, अमरूद, नीबू, आवला, पपीता, फूल, गोभी, बंदा गोभी, शिमला मिर्च, ब्रोकली आदि के पौधे दिए जा रहे हैं. उन्होंने ड्राइंगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी की खेती की तकनीक के बारे में जानकारी दी. कोर्डिनेटर संजीव कुमार ने मिट्टी जांच और जैविक खेती के महत्व पर प्रकाश डाला.

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय प्रभाव : डॉ चौबे

मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने कहा कि लोग अनावश्यक रूप से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन में अनिश्चितता आ रही है. चक्रवात, तूफान और बेमौसम बारिश हो रही है. वातावरण का तापमान फसल के अनुरूप नहीं रहता, पौधों पर कीट और रोग प्रकोप बढ़ रहा है. उन्होंने बताया कि फसल के अवशेष जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति और पोषक तत्वों का नुकसान होता है. फसल की प्रभेदानुसार चयन, रबी फसल की बुआई, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण, कीट-रोग नियंत्रण, कटनी, थ्रेसिंग, हार्वेस्टिंग और उपज भंडारण के बारे में उन्होंने मार्गदर्शन दिया. डॉ चौबे ने किसानों को जल संरक्षण, जल संचयन, मिट्टी की गुणवत्ता, बीजोपचार और जैविक खेती अपनाने के साथ दलहन, तिलहन की खेती में आत्मनिर्भर बनने और जलवायु अनुकूल खेती करने की नसीहत दी.

उपस्थित किसान और अधिकारी

रबी गोष्ठी में पूर्व जिप सदस्य अजय भुईंया, बबन भुईंया, मंजीत यादव, कोऑर्डिनेटर परशुराम पासवान, संजीव कुमार, योगेंद्र कुमार, एटीएम जुही कुमारी, सलाहकार चित्तरंजन कुमार पांडेय, आकाश कुमार सिंह, मुरारी राम, संजीव कुमार सिंह, मनीष कुमार, रामाकांत कुमार, रमेश शर्मा आदि पंचायतों के किसान मौजूद थे.

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