रंगनाथ मंदिर का 186वां स्थापना दिवस जलभरी शोभायात्रा के साथ शुरू

गाजे-बाजे के साथ निकाली गयी शोभायात्रा

By DEVENDRA DUBEY | December 22, 2025 7:01 PM

बड़हरा.

प्रखंड अंतर्गत पूर्वी गुंडी पंचायत के गुंडी गांव स्थित भारतीय दक्षिण शैली पर आधारित रंगनाथ मंदिर का 186वां वार्षिकोत्सव पीठाधीश्वर बद्रीनाथ बनमाली जी के सानिध्य में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ जलभरी शोभायात्रा पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ शुरू किया गया. कलश यात्रा मंदिर परिसर से निकली और गांव भ्रमण के बाद गाजे बाजे के साथ रंग बिरंगे परिधानों में सुसज्जित होकर महिला, पुरुष व बच्चे सिर पर कलश लिए जयकारा लगाते जा रहे थे. यात्रा गुंडी से सरैंया, घांघर, सिन्हा बांध के रास्ते महुली घाट पहुंची, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलश में गंगा जल लेकर वापस रंगनाथ मंदिर पहुंची. इससे पूरा वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. ज्ञात हो कि रंगनाथ मंदिर का निर्माण 1840 ईस्वी के आसपास गुंडी के तत्कालीन जमींदार चौधरी विशुन देव सिंह द्वारा कराया गया था. यह मंदिर भारतीय दक्षिण शैली में निर्मित है. मंदिर के निर्माण में चुनार के पत्थरों का प्रयोग किया गया है, जो इसकी भव्यता और मजबूती को दर्शाता है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु रंगनाथ स्वरूप में शयन मुद्रा में विराजमान हैं. यह प्रतिमा दक्षिण भारत के श्रीरंगम स्थित रंगनाथ स्वामी मंदिर की प्रतिकृति के समान मानी जाती है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर देवी-देवताओं और गरुड़ की कलात्मक नक्काशी श्रद्धालुओं को विशेष रूप से आकर्षित करती है. मान्यता है कि पहले इस मंदिर में दक्षिण भारत से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आया करते थे. आज भी यह मंदिर भोजपुर जिले के लोगों के लिए गहरी आस्था का केंद्र बना हुआ है. 186 वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर आयोजित भागवत कथा में आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. ऐसे में इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग लंबे समय से की जा रही है. मंदिर के मठाधीश्वर बद्रीनाथ बनमाली जी ने बताया कि श्रीमद् भागवत सप्ताहिकी ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ 22 दिसंबर (सोमवार)को जलयात्रा के साथ शुरु हुआ. 23 दिसंबर (मंगलवार) से श्रीमद्भागवत कथा प्रारंभ होगा .26 दिसंबर (शुक्रवार) को महाअभिषेक किया जायेगा. साथ ही 29 दिसंबर (सोमवार) पूर्णाहुति एवं भंडारा होगा.

बड़हरा. प्रखंड अंतर्गत पूर्वी गुंडी पंचायत के गुंडी गांव स्थित भारतीय दक्षिण शैली पर आधारित रंगनाथ मंदिर का 186वां वार्षिकोत्सव पीठाधीश्वर बद्रीनाथ बनमाली जी के सानिध्य में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ जलभरी शोभायात्रा पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ शुरू किया गया. कलश यात्रा मंदिर परिसर से निकली और गांव भ्रमण के बाद गाजे बाजे के साथ रंग बिरंगे परिधानों में सुसज्जित होकर महिला, पुरुष व बच्चे सिर पर कलश लिए जयकारा लगाते जा रहे थे. यात्रा गुंडी से सरैंया, घांघर, सिन्हा बांध के रास्ते महुली घाट पहुंची, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलश में गंगा जल लेकर वापस रंगनाथ मंदिर पहुंची. इससे पूरा वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. ज्ञात हो कि रंगनाथ मंदिर का निर्माण 1840 ईस्वी के आसपास गुंडी के तत्कालीन जमींदार चौधरी विशुन देव सिंह द्वारा कराया गया था. यह मंदिर भारतीय दक्षिण शैली में निर्मित है. मंदिर के निर्माण में चुनार के पत्थरों का प्रयोग किया गया है, जो इसकी भव्यता और मजबूती को दर्शाता है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु रंगनाथ स्वरूप में शयन मुद्रा में विराजमान हैं. यह प्रतिमा दक्षिण भारत के श्रीरंगम स्थित रंगनाथ स्वामी मंदिर की प्रतिकृति के समान मानी जाती है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर देवी-देवताओं और गरुड़ की कलात्मक नक्काशी श्रद्धालुओं को विशेष रूप से आकर्षित करती है. मान्यता है कि पहले इस मंदिर में दक्षिण भारत से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आया करते थे. आज भी यह मंदिर भोजपुर जिले के लोगों के लिए गहरी आस्था का केंद्र बना हुआ है. 186 वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर आयोजित भागवत कथा में आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. ऐसे में इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग लंबे समय से की जा रही है. मंदिर के मठाधीश्वर बद्रीनाथ बनमाली जी ने बताया कि श्रीमद् भागवत सप्ताहिकी ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ 22 दिसंबर (सोमवार)को जलयात्रा के साथ शुरु हुआ. 23 दिसंबर (मंगलवार) से श्रीमद्भागवत कथा प्रारंभ होगा .26 दिसंबर (शुक्रवार) को महाअभिषेक किया जायेगा. साथ ही 29 दिसंबर (सोमवार) पूर्णाहुति एवं भंडारा होगा.

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