सदर अस्पताल की कुव्यवस्था से मरीज हो रहे हैं परेशान
सदर अस्पताल मरीजों के लिए इलाज, नहीं बल्कि समस्या बन कर रह गया है. कहीं दवा की समस्या है, तो कहीं डॉक्टर के लेट लतीफ की समस्या है.
आरा.
सदर अस्पताल मरीजों के लिए इलाज, नहीं बल्कि समस्या बन कर रह गया है. कहीं दवा की समस्या है, तो कहीं डॉक्टर के लेट लतीफ की समस्या है. कहीं बेड पर बेडशीट नहीं है, तो कहीं विभाग बंद मिलते हैं. ऐसे में मरीज भटकते रहते हैं एवं बिचौलियों के चंगुल में फंस जाते हैं. सृजित पद से कम संख्या में है चिकित्सक : सदर अस्पताल में सरकार ने मरीज के हित में चिकित्सकों के जितने पद सृजित किए हैं. उससे कम संख्या में चिकित्सक कार्यरत हैं. फिजिशियन तीन की जगह दो कार्यरत हैं. स्त्री रोग विशेषज्ञ छह की जगह पांच कार्यरत हैं. इएनटी विशेषज्ञ छह की जगह दो कार्यरत हैं. रेडियोलॉजिस्ट का एक पद सृजित है. पर खाली है. सामान्य चिकित्सक, महिला चिकित्सक 20 पद सृजित है. पर मात्र 15 ही कार्यरत हैं. आयुष फिजिशियन के लिए चार सृजित पद में एक भी कार्यरत नहीं है. समय से नहीं आते हैं डॉक्टर : सदर अस्पताल में कोई भी डॉक्टर समय से नहीं आते हैं. जब आते भी हैं तो समय से पहले चले जाते हैं. इससे मरीजों को परेशानी होती है. बिचौलियों के हाथ में पड़कर मरीज निजी क्लीनिक में पहुंच जाते हैं एवं उन्हें आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है.समय से नहीं खुलता है ओपीडी, समय के पहले हो जाता है बंद : समय से ओपीडी नहीं खुलता है एवं समय के पहले ही बंद भी हो जाता है. इतना ही नहीं कई भोले भाले मरीजों से निबंधन शुल्क दो रुपये की जगह पांच रुपये एवं इससे अधिक भी ले लिया जाता है.
अनियमित रूप से खुलता है हेल्प डेस्क : हेल्प डेस्क अनियमित रूप से खुलता है. खुलने का समय नहीं रहता है. हेल्प डेस्क जीविका डॉन द्वारा चलाया जाता है. हालांकि हेल्प डेस्क पर काम करने वाली जीविका दीदी को अस्पताल की सभी जानकारियां नहीं रहती हैं. पूछने पर चुप रह जाती हैं.ऑक्सीजन प्लांट नहीं करता है काम : ऑक्सीजन प्लांट सही ढंग से काम नहीं करता है. कई बार सिलिंडर से कम चलाया जाता है. कोरोना के समय पूर्व केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह एवं विधायकों द्वारा जो भी कीमती सामान उपलब्ध कराये गये थे, उनका अस्पताल में कोई अता-पता नहीं है. किसके हवाले था, कहां गया, इसकी जानकारी देने में अधिकारी आनाकानी कर रहे हैं.
कई तरह की जांच की सुविधाएं हैं उपलब्ध : सदर अस्पताल में कई तरह की जांच की सुविधा उपलब्ध है. इसमें अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, सीटी स्कैन, डायलिसिस, कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट एवं लैब वाली जांच की सुविधा उपलब्ध है. अल्ट्रासाउंड नि:शुल्क है. जबकि कई मरीजों का कहना है कि अल्ट्रासाउंड के लिए पैसा लिया जाता है, इसी तरह एक की जांच भी नि:शुल्क है. फिर भी मरीज से पैसा लिया जाता है. सीटी स्कैन नि:शुल्क है. डायलिसिस पीपीपी मोड में चलाया जाता है. बीपीएल के लिए नि:शुल्क है. जबकि दूसरों के लिए इसका शुल्क 1740 रुपये निर्धारित है. लैब से संबंधित लगभग 40 जांच किये जाते हैं.ओपीडी के लिए 406 व आइपीडी के लिए 120 दवाएं हैं निर्धारितसदर अस्पताल के लिए सरकार ने ओपीडी में 406 एवं आइपीडी में 120 दवाएं निर्धारित की है. वर्तमान में सदर अस्पताल में ओपीडी के लिए 245 एवं आइपीडी के लिए 87 दवाएं उपलब्ध हैं.
कई विभाग रहते हैं बंदसदर अस्पताल में कई विभाग बंद रहते हैं. उनमें ताला लटका रहता है. इसकी खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है. मरीज इस तरह भयभीत रहते हैं कि कुछ भी बताने से कतराते हैं, ताकि अस्पताल कर्मी एवं डॉक्टर उनके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं कर सके.क्या कहते हैं सीएसव्यवस्था को दुरुस्त किया जायेगा. मरीज को असुविधा नहीं होने दी जायेगी. दवाई कम है तो उन्हें पूरा किया जायेगा. जांच भी सही ढंग से कराया जायेगा.
डॉ शिवेंद्र कुमार सिंहा, सिविल सर्जनडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
