World Championships: भारत को मिला नया जेवलिन थ्रो स्टार, मेडल से चूकने पर सचिन यादव हैं निराश
World Championships: भारत को एक नया भाला फेंक स्टार मिल गया है. यूपी के सचिन यादव ने विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन वह पदक से चूक गए. सचिन को पदक नहीं जीत पाने का बहूत अफसोस है. वह 86.27 मीटर के थ्रो के साथ चौथे नंबर पर रहे. उन्होंने गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा और पाकिसतान के अरशद नदीम को पछाड़ा. संतोष ने बताया कि उन्हें नीरज चोपड़ा के पदक से चूकने का ज्यादा अफसोस है.
World Championships: भारत के भाला फेंक एथलीट सचिन यादव का कहना है कि अपनी पहली विश्व चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा और जूलियन वेबर जैसे खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन करना सुखद अहसास है, लेकिन इससे अच्छी शुरुआत के बाद कांस्य पदक हाथ से जाने देने की निराशा की भरपाई नहीं हो सकती. सचिन का यह दूसरा ही अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था लेकिन उन्होंने गुरुवार को तोक्यो में दमदार प्रदर्शन करते हुए दो बार के ओलंपिक पदक विजेता चोपड़ा (84.03 मीटर), मौजूदा ओलंपिक चैंपियन अरशद नदीम (82.75 मीटर) और डायमंड लीग ट्रॉफी विजेता वेबर (86.11 मीटर) जैसे प्रतिष्ठित प्रतिभागियों को पछाड़ दिया. इस भारतीय ने पहला थ्रो 86.27 मीटर फेंका जो उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. World Championships India got a new javelin throw star Santosh Yadav
पहले ही थ्रो में लगा था कि मेडल मिल जाएगा
उनका पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट मई में एशियाई चैंपियनशिप था, जिसमें उन्होंने 85.16 मीटर के थ्रो से रजत पदक जीता था. इस तरह गुरुवार को उन्होंने पिछले प्रदर्शन को बेहतर किया. अमेरिका के कुर्टिस थॉम्पसन ने 86.67 मीटर से कांस्य पदक जीता जो सचिन के थ्रो से 40 सेमी बेहतर था. यादव (25 वर्ष) ने तोक्यो से पीटीआई से कहा, ‘शुरुआती थ्रो बहुत अच्छा रहा. मौसम अच्छा था, जैसे ही मैंने भाला गिरते हुए देखा तो मुझे लगा कि मैं पदक जीत सकता हूं. मुझे भरोसा था कि कम से कम एक बार 87 मीटर का थ्रो जरूर डाल लूंगा. मैं दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एथलीट के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहा था, जिससे स्वाभाविक रूप से आपका प्रदर्शन बेहतर होता है. लेकिन मैं अपनी पूरी कोशिश करने के बावजूद अगले पांच प्रयासों में पहले थ्रो से सुधार नहीं कर सका. इसलिए मुझे लगता है कि मैंने विश्व चैंपियनशिप पदक अपने हाथ से जाने दिया.’
नीरज चोपड़ा से मिलती है प्रेरणा
उनका दूसरा थ्रो फाउल रहा. बाकी चार थ्रो 85.71 मीटर, 84.90 मीटर, 85.96 मीटर और 80.95 मीटर के थे. हालांकि उनके तीन थ्रो उनके पहले के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो से बेहतर थे. उत्तर प्रदेश के बागपत के पास खेकड़ा गांव के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले सचिन को इस बात से भी दुखी थे कि गत चैंपियन चोपड़ा पीठ दर्द के कारण पांचवें दौर के बाद बाहर हो गए थे. उन्होंने कहा, ‘मैं और नीरज भाई फाइनल के दौरान बातें करते रहे. मेरे पहले थ्रो के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि हमें दो पदक मिलने चाहिए. मुझे पता था कि वह पीठ की समस्या से जूझ रहे थे लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि वह किसी तरह अच्छा थ्रो फेंक लेंगे.’
नीरज चोपड़ा के लिए है ज्यादा अफसोस
सचिन ने कहा, ‘मैं अपने पहले थ्रो को बेहतर करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मुझे नीरज भाई के लिए दुख भी हुआ. (2021 में तोक्यो ओलंपिक के बाद से) यह पहली बार था जब वह पोडियम पर नहीं थे. हमारे देश को पदक जीतना था, लेकिन वह भी नहीं हुआ इसलिए मुझे बुरा लगा.’ सचिन ने कहा कि उनके माता-पिता एथलेटिक्स के बारे में ज्यादा नहीं जानते और विश्व चैंपियनशिप की तो बात ही छोड़ दें इसलिए जब फोटो पत्रकार उनके घर का फोटो लेने पहुंचे तो वे उन्हें देखकर हैरान रह गए. उन्होंने कहा, ‘मैंने अपनी मां से बात की. मेरे माता-पिता खुश हैं लेकिन वे इन सबके बारे में ज्यादा नहीं जानते जैसे विश्व चैंपियनशिप या फिर पदक जीतना. वे बस यही चाहते थे कि मुझे सरकारी नौकरी मिल जाए. उन्होंने कभी मीडिया को नहीं देखा है. इसलिए पहली बार ऐसा हुआ कि मीडिया मेरे घर गया. मेरी मां ने मुझे बताया कि कुछ लोग हमारे घर आए और फोटो लीं.’
उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत हैं सचिन यादव
सचिन अभी उत्तर प्रदेश पुलिस में हैं. वह 2023 में खेल कोटे से पुलिस बल में शामिल हुए हैं. 2021 में अपने करियर की शुरुआत में कोहनी में चोट लगने के बाद उनके पिता को उनके इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ा था. उन्होंने कहा, ‘मुझे चोट लगती रहती हैं, जब मैंने भाला फेंकना शुरू किया था, तभी कोहनी में चोट लग गई थी और फिर एक और चोट लग गई.’ इस साल के शुरु में भी उत्तराखंड राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतते समय उनका टखना मुड़ गया था. उन्होंने रिहैबिलिटेशन किया और दो महीने आराम के बाद वापसी की. उन्होंने कहा, ‘मैं टॉप्स (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम) में हूं और ओजीक्यू मेरा प्रायोजक है. जहां तक आर्थिक स्थिति की बात है तो अब मैं बेहतर स्थिति में हूं.’
सचिन अपने करियर के शुरुआती वर्षों में बिना किसी योग्य कोच के थे क्योंकि उनके पड़ोसी संदीप यादव ने उन्हें भाला फेंक से परिचय कराया था. संदीप ने इस लंबे कद के युवा को गांव में एक क्रिकेट मैच के दौरान गेंदबाजी करते देखा. उन्होंने पिछले साल ही सचिन को कोच नवल सिंह से मिलवाया जिन्होंने ओलंपियन शिवपाल सिंह, पैरालंपिक स्वर्ण विजेता सुमित अंतिल और नवदीप सिंह जैसे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी है.
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