डल झील की लहरों पर उड़ी मछुआरे की बेटी, पिता बिस्तर पर, 9 साल की उम्र में मां का निधन, अब सोने से चमकाई सालों की मेहनत

Rashmita Sahoo: ओड़िशा की रश्मिता साहू ने कठिनाइयों को पार करते हुए खेलो इंडिया वॉटर गेम्स फेस्टिवल 2025 में डल झील पर इतिहास रच दिया. 23 वर्षीय रश्मिता ने महिला कैनोइंग सी-1 200 मीटर स्पर्धा में 53.53 सेकंड में स्वर्ण पदक जीता. पिता की प्रेरणा और वर्षों की मेहनत ने उन्हें केरल व मध्यप्रदेश की प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ते हुए शीर्ष पर पहुँचाया.

By Anant Narayan Shukla | August 23, 2025 11:07 AM

Rashmita Sahoo: 9 साल की उम्र में पिता हादसे में घायल, 2015 में माँ का निधन, लेकिन… सपने नहीं टूटे. मुश्किलें चाहे कितनी भी हों, सपनों को पंख मेहनत ही देती है. रश्मिता साहू ने खेलो इंडिया वॉटर गेम्स फेस्टिवल 2025 में डल झील की लहरों पर सुनहरा इतिहास लिख दिया. यह कहानी है ओड़िशा की रश्मिता साहू के बारे में, जिन्होंने सारी बाधाओं को पार करते हुए एक नया मुकाम हासिल किया है. रश्मिता साहू ने खेलो इंडिया वॉटर गेम्स फेस्टिवल 2025 में शुक्रवार को महिला कैनोइंग सी-1 200 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया है. 23 वर्षीय रश्मिता की वर्षों की मेहनत का नतीजा उन्हें शीर्ष सम्मान के रूप में मिला. उन्होंने 53.53 सेकंड का समय निकालते हुए श्रीनगर की ऐतिहासिक डल झील में केरल और मध्य प्रदेश की खिलाड़ियों को पछाड़कर पहला स्थान हासिल किया. स्वर्ण पदक जीतने के बाद रश्मिता साहू ने कहा कि उन्होंने कभी खेल छोड़ने के बारे में सोचा था, लेकिन उनके पिता ने उन्हें जारी रखने के लिए प्रेरित किया.

बाधाओं को पार कर सफलता के शिखर पर रश्मिता

कटक के चौदवार की मछुआरा समुदाय से आने वाली रश्मिता महज नौ साल की थीं, जब 2011 में उनके पिता, सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए. मछुआरा समुदाय में सीमित आय होने और फिर इस हादसे से परिवार की जीविका छिन गई और पाँच सदस्यों वाला परिवार संकट में पड़ गया. चार साल बाद, 2015 में उनकी मां भी सड़क दुर्घटना का शिकार हुईं, लेकिन वे अपने पति की तरह बच नहीं सकीं और उनकी मृत्यु हो गई. इस घटना ने रश्मिता को भीतर तक तोड़ दिया और परिवार को असहाय बना दिया.

पदक जीतने के बाद रश्मिता ने एएनआई से कहा, “अगर हम हमेशा दुखों के बारे में सोचते रहेंगे तो जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पाएंगे. मैंने भी परिवार की वजह से खेल छोड़ने का सोचा था, लेकिन पिता ने कहा कि खेल मत छोड़ो. तब मैंने उनकी बात मानी और खेल जारी रखा. इसके बाद मैंने खुद को बहुत प्रेरित किया. अभ्यास के दौरान हमेशा सोचती थी कि मुझे ऐसा अभ्यास करना है जिससे मैं पदक जीत सकूँ.”

पहले भी जीत चुकी हैं कैनोइंग की प्रतियोगिताएं

उत्तराखंड में हुई पिछली राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में रश्मिता ने कैनोइंग डबल्स महिलाओं में रजत और कैनोइंग सिंगल्स महिलाओं में कांस्य पदक जीता था. इससे पहले भोपाल में वे कैनोइंग सिंगल्स महिलाओं की स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत चुकी थीं.

ओडिशा पुलिस में अधिकारी भी हैं रश्मिता

राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने के बाद रश्मिता ओडिशा पुलिस में भर्ती के लिए पात्र हुईं और 2024 से वह गर्व के साथ पुलिस अधिकारी के रूप में काम कर रही हैं, साथ ही चार सदस्यीय परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही हैं.

एशियाई खेलों में पदक जीतने की है उम्मीद

उनके कोच लाइशराम जोहानसन सिंह ने कहा कि उन्हें रश्मिता से अंतरराष्ट्रीय पदक की उम्मीद है और वह उन्हें 2026 एशियाई खेलों के लिए तैयार करेंगे. उन्होंने कहा, “मैं 2020 से लगातार उन्हें ट्रेनिंग दे रहा हूँ, जूनियर से सीनियर स्तर तक. उन्होंने पहली बार 2018 के स्पेशल एरिया गेम्स में पहचान बनाई थी. तब से वे लंबा सफर तय कर चुकी हैं और मुझे विश्वास है कि 2026 एशियाई खेलों में वे पदक जीतेंगी.”

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