जानती हूं बड़ा पदक जीतने का महत्व क्या होता है- विनेश फोगाट

कजाकस्तान: कुश्ती में तोक्यो ओलंपिक का टिकट कटाने वाली पहली भारतीय बनी विनेश फोगाट का कहना है कि ओलंपिक क्वालीफिकेशन के अहम मुकाबले में मैट पर परिस्थितियों के अनुरूप उन्होंने कोच द्वारा बतायी गयी रणनीति में बदलाव किया और जीत हासिल की. विनेश फोगाट ने यहां अपनी जीत, रणनीति और भविष्य के बारे में अपनी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 19, 2019 2:44 PM

कजाकस्तान: कुश्ती में तोक्यो ओलंपिक का टिकट कटाने वाली पहली भारतीय बनी विनेश फोगाट का कहना है कि ओलंपिक क्वालीफिकेशन के अहम मुकाबले में मैट पर परिस्थितियों के अनुरूप उन्होंने कोच द्वारा बतायी गयी रणनीति में बदलाव किया और जीत हासिल की. विनेश फोगाट ने यहां अपनी जीत, रणनीति और भविष्य के बारे में अपनी तैयारियों के बारे में खुलकर बात की.

कोच की रणनीति को मैट में बदल दिया

विनेश ने बताया कि विश्व चैम्पियनशिप की ओलंपिक क्वालीफाइंग बाउट से पहले कोच वूलर एकोस ने विनेश को सारा एन हिल्डरब्रांट से दूर रहने के साथ उसके दायें हाथ को रोकने और पैरों को बचाने की रणनीति सुझायी थी. लेकिन विनेश ने मैट पर परिस्थितियों के हिसाब से इसका उलट किया.

विनेश ने 53 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीतने और तोक्यो ओलंपिक का टिकट कटाने के बाद कहा ‘कोचों ने कुछ और ही रणनीति सुझायी थी लेकिन मुझे मैट पर कुछ और ही लगा और मैंने इसी के अनुसार रणनीति में बदलाव किया. उन्होंने कहा, मुझे लगा कि वह मुझ पर दबाव बना रही थी लेकिन मैं अंक नहीं गंवा रही थी तो इससे वह थक रही थी.

अमेरिकी पहलवान को लालच में फंसाया

विनेश ने कहा कि ‘मैंने सोचा, क्यों ना उसे पैरों पर आक्रमण करने के लिये लुभाऊं और फिर डिफेंस में मजबूत बनी रहूं ताकि इससे वह पूरी तरह थक जाये. मैंने उसे ऐसा करने दिया और फिर उसे रोक लिया. यह मेरे लिये कारगर रहा. मैं जानती हूं कि वह मेरी तुलना में कितनी मजबूत थी’.

अमेरिका की नंबर एक पहलवान ने रेपेचेज की दूसरी बाउट के दौरान पांच बार विनेश के पैर को पकड़ा था लेकिन वह इसमें से एक में भी अंक नहीं जुटा सकी. विनेश ने कहा ‘अगर वह कुछ अंक जुटा भी लेती तो वह थक जाती क्योंकि इसके लिये वह अपनी पूरी ताकत झोंक देती.

बड़ा पदक जीतने का महत्व जानती हैं विनेश

भारतीय पहलवान विनेश जानती हैं कि बड़ा पदक जीतने का मतलब क्या होता है. विनेश रियो ओलंपिक से पहले लगी चोट को भूली नहीं है क्योंकि इस चोट की वजह से उन्हें कुछ हफ्तों तक व्हीलचेयर पर रहना पड़ा था. विनेश बताती हैं कि चोट के बाद जब मैंने वापसी की तो मेरी मां ने मेरे बाउट देखने बंद कर दिए क्योंकि उन्हें डर था कि मुझे फिर से चोट लग जाएगी.

अगर वो मेरा मैच देखती भी तो लगातार चिल्लातीं कि मेरी बेटी की टांग छोड़ दो, तोड़ ना दियो. अपने पहलवान पति सोमबीर राठी के बारे में उन्होंने कहा कि, सोमबीर ने भले ही कोई पदक ना जीता हो लेकिन कुश्ती के दांव-पेंच में वे बहुत चतुर हैं.

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