भारतीय हॉकी टीम में मनोवैज्ञानिक रखने पर हो रहा विचार

भुवनेश्वर : भारतीय हॉकी टीम के मुख्य कोच ग्राहम रीड का मानना है कि आधुनिक हॉकी के लिये ‘स्थिर दिमाग’ का होना जरूरी है और उन्होंने संकेत दिये कि ओलंपिक क्वालीफाईंग की कवायद में लगी टीम के साथ जल्द ही एक पूर्णकालिक मनोवैज्ञानिक जुड़ सकता है. भारत की विषम परिस्थितियों में दबाव में बिखरने की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 8, 2019 4:07 PM

भुवनेश्वर : भारतीय हॉकी टीम के मुख्य कोच ग्राहम रीड का मानना है कि आधुनिक हॉकी के लिये ‘स्थिर दिमाग’ का होना जरूरी है और उन्होंने संकेत दिये कि ओलंपिक क्वालीफाईंग की कवायद में लगी टीम के साथ जल्द ही एक पूर्णकालिक मनोवैज्ञानिक जुड़ सकता है.

भारत की विषम परिस्थितियों में दबाव में बिखरने की आदत से अच्छी तरह परिचित रीड खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिये मनोवैज्ञानिक की मदद लेना चाहते हैं. उन्होंने कहा, वर्तमान समय के खेल में प्रत्येक खिलाड़ी का मानसिक तौर पर स्थिर होना तथा हर तरह की दबाव से पार पाने के लिये मजबूत होना जरूरी है.

रीड ने एफआईएच सीरीज फाइनल्स से इतर कहा, मैं अब भी इस पर काम कर रहा हूं इसे किस तरह से सर्वश्रेष्ठ तरह से किया जाए क्योंकि आखिरी चीज आप यही करते हैं किसी (मनोवैज्ञानिक) को टीम से जोड़ना है. हम अगले कुछ महीनों में मानसिक मजबूती वाले पक्ष में काम करेंगे.

उन्होंने कहा, मेरे लिये यह वास्तव में महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन मैं हमारी सांस्कृतिक भिन्नता को भी समझता हूं. इसलिए इन चीजों को संतुलित करना जरूरी है. रीड इस साल अप्रैल में हरेंद्र सिंह की जगह टीम से जुड़े थे और उन्होंने कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास को वापस लाने के जुनून के साथ उन्होंने यह पद संभाला है. उन्होंने कहा, मेरे अंदर भारत को फिर से शीर्ष पर लाने का जुनून है और मैं इस पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं.

रीड ने कहा, अपने खेल के दिनों में मैं हमेशा भारत और पाकिस्तान से खेला करता था. हम हमेशा इन टीमों के बारे में सुना करते थे. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एंग्लो इंडियन संबंध है. एंग्लो इंडियन पर्थ हॉकी का अहम हिस्सा हैं. वहां का समृद्ध इतिहास है और हो सकता है कि यह जुनून वहां से जुड़ा हो.

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