‘छह महीने में होगा लागू’, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक पर खेल मंत्री का बड़ा बयान, भारत बनेगा 21वां देश
National Sports Governance Bill: खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने घोषणा की कि राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक छह महीने में लागू होगा. NSB, NST और NSEP का गठन होगा. महिला प्रतिनिधित्व और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी पर विवेकाधिकार जैसे प्रावधानों से खेल प्रशासन में बड़ा सुधार आएगा.
Mansukh Mandaviya, National Sports Governance Bill: खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को घोषणा की कि संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद ऐतिहासिक राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक अगले छह महीनों के भीतर लागू कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसके लिए प्रारंभिक काम पहले ही शुरू हो चुका है, जिसमें नियमों का मसौदा तैयार करना और आवश्यक बुनियादी ढांचे की पहचान करना शामिल है. मांडविया ने इसे “स्वतंत्रता के बाद से खेलों में सबसे बड़ा सुधार” करार दिया और कहा कि इसका उद्देश्य भारत के खेल प्रशासन को पारदर्शी, जवाबदेह और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना है.
छह महीनों में पूर्ण कार्यान्वयन
खेल मंत्री ने पीटीआई के इंटरव्यू में कहा, “यह विधेयक जल्द से जल्द लागू किया जाएगा. अगले छह महीनों में शत प्रतिशत कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी.”
इस विधेयक के लागू होने के साथ भारत खेल कानून लागू करने वाला 21वां देश बन जाएगा. इसके अहम प्रावधानों में एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) का गठन शामिल है, जो राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSF) को मान्यता देगा. साथ ही राष्ट्रीय खेल पंचाट (NST) विवादों का निपटारा करेगा, और राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल (NSEP) NSF चुनावों की देखरेख करेगा.
मांडविया ने कहा कि इन संस्थाओं के गठन के लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग तथा व्यय विभाग की स्थापित प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा. उद्देश्य है कि ये संस्थान यथाशीघ्र पूरी तरह से वैधानिक और प्रक्रियात्मक जरूरतों के अनुरूप काम करने लगें.
विधेयक को NSF और खिलाड़ियों दोनों का व्यापक समर्थन मिला है. भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) भी शुरू में संशय में था, लेकिन खेल मंत्री के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उसने अपना समर्थन दिया.
अंतरराष्ट्रीय भागीदारी पर विवेकाधिकार
विधेयक का एक महत्वपूर्ण प्रावधान सरकार को असाधारण परिस्थितियों में भारतीय टीमों और खिलाड़ियों की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी पर उचित प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है. इस पर मांडविया ने कहा कि यह किसी विशेष देश को ध्यान में रखकर नहीं बनाया गया, बल्कि यह एक “मानक सुरक्षा उपाय” है, जो दुनिया के कई खेल कानूनों में मौजूद है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका उपयोग केवल राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों, राजनयिक बहिष्कारों या वैश्विक आपात स्थितियों में किया जाएगा. पाकिस्तान के साथ खेल संबंधों पर उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 2008 मुंबई हमलों के बाद से द्विपक्षीय क्रिकेट बंद है और हाई-प्रोफाइल मुकाबले तटस्थ स्थानों पर आयोजित किए जाते हैं.
मांडविया ने कहा कि यह अधिनियम ऐसे मामलों में सरकार को निर्णायक और वैधानिक रूप से कार्य करने की क्षमता प्रदान करेगा, साथ ही ओलंपिक चार्टर और अंतरराष्ट्रीय खेल संस्थाओं के कानूनों के अनुरूप भारत की प्रतिबद्धताओं को बनाए रखेगा.
खिलाड़ियों के साथ हुई बातचीत में महिला एथलीटों ने प्रतिनिधित्व की मांग की. इस पर विधेयक में प्रावधान किया गया है कि किसी भी NSF की कार्यकारी समिति में कम से कम चार महिलाएं और दो उत्कृष्ट योग्यता वाले एथलीट शामिल हों, जिसकी कुल संख्या 15 से अधिक न हो.
मांडविया ने विश्वास जताया कि यह नया कानून भारत के खेल ढांचे में सकारात्मक बदलाव लाएगा. अगले एजेंडे के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार की योजना अगले दो दशकों में भारत को विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल करने के लिए “पदक रणनीति” तैयार करने की है.
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