1981 के बाद क्यों बैन हो गई अंडरआर्म गेंदबाजी, ग्रेग चैपल ने की थी शर्म से डूब मरने वाली हरकत

Underarm bowling incident of 1981: क्रिकेट अपनी शुरुआत से ही कुछ महान खिलाड़ियों और उनके रिकॉर्ड के लिए जाना जाता है. हालांकि, मैदान पर कुछ ऐसे भी वारदात हुए हैं, जिसने इस जेंटलमैन गेम को कलंकित किया है. 1981 में ऐसा की एक वाकया हुआ, जिसके सूत्रधार उस समय के ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ग्रेग चैपल थे. उन्होंने अपने भाई से न्यूजीलैंड के खिलाफ आखिरी गेंद अंडरआर्म फिकवाई थी, क्योंकि न्यूजीलैंड को मैच बचाने के लिए 6 रनों की जरूरत थी. आज भी इस घटना को काफी शर्मनाक वजहों से याद किया जाता है.

By AmleshNandan Sinha | August 10, 2025 8:06 PM

Underarm bowling incident of 1981: साल 1981 में एक ऐसी घटना घटी थी, जिसने क्रिकेट जैसे जेंटलमैन गेम को कलंकित कर दिया था. क्रिकेट में खेल भावना का बहुत ज्यादा महत्व है. खिलाड़ी मैदान पर एक दूसरे के विरोध में आक्रामक हो सकते हैं, लेकिन खेले के परिणाम के बाद अक्सर उन्हें एक-दूसरे से हंसकर मिलते हुए देखा जाता है. हालांकि ऑस्ट्रेलिया टीम के नाम कई ऐसे शर्मनाक घटनाएं दर्ज हैं, जिसने खेल भावना को कलंकित ही किया है. 1981 में भी क्रिकेट और उसके नियमों को बदनाम करने वाली हरकत ऑस्ट्रेलिया ने ही की थी. घटना के केंद्र में भारत के पूर्व कोच ग्रेग चैपल रहे थे. उन्होंने नियमों की आड़ में खेल भावना को गहरा आघात पहुंचाया था. इस शर्मनाक घटना में उनका साथ उनके भाई ने दिया था. underarm bowling banned after 1981 Greg Chappell had done a shameful act

वनडे क्रिकेट का काला अध्याय

हम बात कर रहे हैं अंडरआर्म गेंदबाजी की, जो 1981 से पहले आईसीसी की ओर से बैन नहीं था. गेंदबाज अंडरआर्म गेंदबाजी करने के लिए आजाद था, हांलाकि इसे हीन भावना से देखा जाता था और शायद ही कोई प्रतिष्ठित गेंदबाज अंडरआर्म गेंदबाजी करना चाहता होगा. वनडे क्रिकेट ने एक काला अध्याय तब देखा जब न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर मुकाबला हुआ. इस मैच को क्रिकेट में एक निर्णायक क्षण के रूप में याद किया जाता है, न कि इसके रोमांचक खेल के लिए, बल्कि खेल भावना के घोर अनादर के लिए.

ग्रेग चैपल की जमकर हुई आलोचना

यह घटना 1 फरवरी को बेन्सन एंड हेजेस वर्ल्ड सीरीज कप 1980/81 के तीसरे फाइनल के दौरान घटी थी. एक रोमांचक मैच के बाद, न्यूजीलैंड के लिए मैच ड्रॉ होना लगभग तय था क्योंकि उन्हें मैच की आखिरी गेंद पर छह रन चाहिए थे. ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल की योजना कुछ और ही थी. उन्होंने अपने भाई ट्रेवर चैपल को आखिरी गेंद अंडरआर्म डालने का निर्देश दिया. इस शर्मनाक हरकत के बाद ऑस्ट्रेलिया को जीत तो मिली, लेकिन पूरे क्रिकेट समाज में उसकी आलोचनाएं होने लगी. चैपल बंधुओं की विश्वभर में थू-थू हो रही थी.

बेन्सन एंड हेजेस वर्ल्ड सीरीज कप 1980/81 की घटना

बेन्सन एंड हेजेस वर्ल्ड सीरीज कप 1980/81 भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एक त्रिकोणीय द्विपक्षीय दौरा था. भारत ने खेले गए 10 मैचों में केवल तीन जीत दर्ज की और बेस्ट-ऑफ-फोर फाइनल में जगह बनाने से चूक गया. न्यूजीलैंड ने 29 जनवरी को सिडनी में 78 रनों की शानदार जीत के साथ फाइनल की शुरुआत की. ऑस्ट्रेलिया ने दो दिन बाद मेलबर्न में सात विकेट से जीत हासिल करके मुकाबला 1-1 से बराबर कर दिया. सीरीज के तीसरे मैच में, ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 235 रनों का स्कोर खड़ा किया. दूसरी पारी में, ब्रूस एडगर ने न्यूजीलैंड के लक्ष्य का पीछा करते हुए पूरी ताकत झोंक दी. उन्होंने शतक जड़कर न्यूजीलैंड को मैच में बनाए रखा और उन्हें ड्रॉ के करीब पहुँचा दिया.

ब्रायन मैककेनी के साथ हुई अनहोनी

ब्रायन मैककेनी को आखिरी गेंद का सामना करना था. छक्का से कम स्कोर ऑस्ट्रेलिया की जीत का कारण बनता. हालांकि हालात ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में थे, ग्रेग चैपल, कीवी टीम को मैच बराबरी पर लाने से रोकना चाहते थे. उस समय अंडरआर्म गेंद फेंकना गैरकानूनी नहीं था. हालांकि, इस कदम को व्यापक रूप से खेल भावना के विरुद्ध माना जाता था क्योंकि किसी बल्लेबाज के लिए अंडरआर्म गेंद को हिट करना लगभग असंभव था. इस विवादास्पद गेंद के कारण अंततः ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में 2-1 की बढ़त मिल गई, लेकिन इसने खेल को हमेशा के लिए बदल दिया.

आईसीसी ने अंडरआर्म गेंदबाजी को कर दिया बैन

ग्रेग चैपल की इस हरकत ने क्रिकेट के नियम बनाने वालों को सोंचने पर विवश कर दिया कि इस खामी को कैसे दुरुस्त किया जाए. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने खेल पर इसके हानिकारक प्रभाव को देखते हुए अंडरआर्म गेंदबाजी पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगा दिया. हालाकि इस प्रतिबंध ने आगे होने वाली ऐसी समस्या का समाधान तो कर दिया, लेकिन इससे ऑस्ट्रेलिया की प्रतिष्ठा को होने वाले नुकसान नहीं रुका. आज भी जब अंडरआर्म गेंदबाजी की बात होती है तो ऑस्ट्रेलिया का ही नाम लिया जाता है, वह भी अनादर के साथ.

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