कोच से ज्यादा टीम के… कपिल देव ने गौतम गंभीर की कोचिंग पर दिया दो टूक बयान

Kapil Dev Statement on Gautam Gambhir: दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज हार के बाद गौतम गंभीर की कोचिंग पर सवाल उठे हैं. इस पर कपिल देव ने कहा कि आज के क्रिकेट में कोच का काम तकनीक सिखाना नहीं बल्कि खिलाड़ियों को संभालना है. उन्होंने भरोसा और मैनेजमेंट को सबसे अहम बताया.

By Aditya Kumar Varshney | December 19, 2025 7:13 AM

Kapil Dev Statement on Gautam Gambhir: भारतीय क्रिकेट में एक बार फिर कोच की भूमिका को लेकर बहस तेज हो गई है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 0-2 की हार के बाद टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) आलोचनाओं के घेरे में हैं. इसी बीच भारत को पहला विश्व कप जिताने वाले कप्तान कपिल देव (Kapil Dev) ने बेहद सरल और साफ शब्दों में इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है. कपिल देव का मानना है कि आज के दौर में कोच का काम तकनीक सिखाना नहीं बल्कि खिलाड़ियों को संभालना और उनमें भरोसा जगाना है. उनका बयान मौजूदा क्रिकेट सिस्टम और कोचिंग सोच पर गहरी रोशनी डालता है.

कोच शब्द का बदला हुआ मतलब

कपिल देव ने कहा कि आज क्रिकेट में कोच शब्द का इस्तेमाल बहुत ढीले ढंग से किया जा रहा है. उनके अनुसार कोच वही होता है जो स्कूल या कॉलेज स्तर पर खिलाड़ी को खेल की बुनियाद सिखाता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचे खिलाड़ी पहले से विशेषज्ञ होते हैं. ऐसे में कोई भी हेड कोच उन्हें तकनीकी रूप से नया क्या सिखा सकता है. कपिल ने साफ कहा कि गौतम गंभीर एक कोच से ज्यादा टीम के मैनेजर की भूमिका में नजर आते हैं और आज के समय में यही भूमिका सबसे अहम है.

तकनीक नहीं प्रबंधन है असली जिम्मेदारी

कपिल देव का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लेग स्पिनर या विकेटकीपर को अलग से कोचिंग की जरूरत नहीं होती. वे अपनी कला में पारंगत होते हैं. ऐसे खिलाड़ियों को दिशा देने और आत्मविश्वास बनाए रखने की जरूरत होती है. हेड कोच का असली काम खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मजबूत करना और सही माहौल तैयार करना है. कपिल के अनुसार टीम मैनेजमेंट अगर खिलाड़ियों में भरोसा पैदा कर दे तो प्रदर्शन अपने आप बेहतर हो जाता है.

युवा खिलाड़ियों के लिए भरोसे का माहौल जरूरी

कपिल देव ने खास तौर पर युवा खिलाड़ियों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जब कोई मैनेजर या कोच टीम की जिम्मेदारी संभालता है तो युवा खिलाड़ी उसे आदर्श मानते हैं. ऐसे में जरूरी है कि उन्हें लगातार यह एहसास दिलाया जाए कि वे अच्छा कर सकते हैं. गलत प्रदर्शन के बाद डांटने के बजाय भरोसा देना ज्यादा असरदार होता है. कपिल का मानना है कि यही भरोसा बड़े खिलाड़ियों को तैयार करता है.

कप्तानी से सीखा गया अनुभव

अपने कप्तानी के दिनों को याद करते हुए कपिल देव ने बताया कि वह हमेशा कमजोर फॉर्म से जूझ रहे खिलाड़ियों के साथ ज्यादा वक्त बिताते थे. उनके अनुसार जो खिलाड़ी शतक बना रहा है उसे अतिरिक्त सहारे की जरूरत नहीं होती. असली जरूरत उस खिलाड़ी को होती है जो रन नहीं बना पा रहा या आत्मविश्वास खो रहा है. कप्तान और कोच का काम ऐसे खिलाड़ियों को संभालना है. टीम तभी मजबूत बनती है जब हर खिलाड़ी खुद को सुरक्षित और भरोसे में महसूस करे.

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