अंडर-19 विश्व कप में एक बार भाग लेने से उम्र में हेरफेर रुकेगी : द्रविड़

नयी दिल्ली : भारत की अंडर-19 टीम के कोच राहुल द्रविड़ का मानना है कि बीसीसीआइ कार्यकारिणी के जूनियर विश्व कप में खिलाड़ियों को केवल एक साल खेलने की अनुमति देने के फैसले से खिलाड़ियों द्वारा उम्र में की जानेवाली हेराफेरी रुकेगी.... रवींद्र जडेजा (2006 और 2008), विजय जोल (2012 और 2014), संदीप शर्मा (2010 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 30, 2016 8:27 PM

नयी दिल्ली : भारत की अंडर-19 टीम के कोच राहुल द्रविड़ का मानना है कि बीसीसीआइ कार्यकारिणी के जूनियर विश्व कप में खिलाड़ियों को केवल एक साल खेलने की अनुमति देने के फैसले से खिलाड़ियों द्वारा उम्र में की जानेवाली हेराफेरी रुकेगी.

रवींद्र जडेजा (2006 और 2008), विजय जोल (2012 और 2014), संदीप शर्मा (2010 और 2012), सरफराज खान (2014 और 2016), रिकी भुई (2014 और 2016) तथा अवेश खान (2014 और 2016) उन खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने हाल के वर्षों में अंडर-19 विश्व कप में दो बार हिस्सा लिया.

इस मसले पर बेहद मुखर द्रविड़ ने कहा : अंडर-19 विश्व कप में केवल एक बार खेलने की अनुमति देने का मतलब होगा कि लोग उम्र में हेराफेरी के लिए कम प्रेरित होंगे. ईमानदारी से कहूं, तो अंडर-19 क्रिकेट परिणाम नहीं, बल्कि खिलाड़ियों को अनुभव दिलाने से जुड़ा है. उद्देश्य जीतने के बजाय अधिक से अधिक युवाओं को मौका देना होना चाहिए. और इस नये नियम से ऐसे परिणाम मिलेंगे.

इस कदम से जो लंबी अवधि के परिणाम मिलेंगे वे लघु अवधि में संभावित हार से अधिक से महत्वपूर्ण होंगे. इस पूर्व भारतीय कप्तान ने खुशी जतायी कि बीसीसीआइ ने नियम बनाया और उनका मानना है कि इससे अगली पीढ़ी के क्रिकेटरों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

उन्होंने कहा : वास्तव में खुशी है कि बीसीसीआइ अधिक उम्र के मसले पर कुछ कदम उठा रहा है. इसको एकदम से नहीं सुधारा जा सकता है, लेकिन कम-से-कम सही दिशा में कदम तो उठाये गये. उम्र में हेराफेरी का मसला बड़ी समस्या है और इसका क्रिकेटरों के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता है. द्रविड़ का मानना है कि कोई भी क्रिकेटर जो राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दो साल तक जूनियर क्रिकेट खेल चुका हो वह अगले स्तर तक खेल सकता है.

उन्होंने कहा : अंडर-19 स्तर पर केवल दो साल खेलने का विचार बुरा नहीं है. हमने सुना है कि कई बार खिलाड़ियों ने अंडर-16 स्तर पर अस्थि परीक्षण (बोन टेस्ट) में हिस्सा नहीं लिया और वे कई वर्षों तक अंडर-19 स्तर पर खेलते रहे. इस फैसले के बाद इन लोगों के प्रयास विफल होंगे. इस स्तर पर क्रिकेटर यदि अच्छे होते हैं, तो अगले स्तर पर पहुंचने के लिए उनका अंडर-19 क्रिकेट में दो साल तक खेलना पर्याप्त है. द्रविड़ ने कहा : ऐसे मामले में अंडर-23 के मैच हैं, जो एक और मंच प्रदान करेगा. किसी युवा खिलाड़ी को अंडर-19 में तीन-चार साल तक बनाये रखने का कोई मतलब नहीं है, विशेष कर यदि उसने 16-17 साल की उम्र में प्रवेश किया होगा.