भारत की हार में अनुष्का कैसे विलेन?

विश्वकप क्रिकेट 2015 के सेमीफाइनल में भारत, ऑस्ट्रेलिया के हाथों बुरी तरह पराजित हुआ. भारत के क्रिकेट प्रेमी इस हार के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाये थे, इसलिए वे शोक में तो हैं ही, उनका व्यवहार बौखलाए हुए क्रि केट प्रेमी सा हो गया है. यही कारण है कि वे कहीं टीवी सेट […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 27, 2015 1:25 PM

विश्वकप क्रिकेट 2015 के सेमीफाइनल में भारत, ऑस्ट्रेलिया के हाथों बुरी तरह पराजित हुआ. भारत के क्रिकेट प्रेमी इस हार के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाये थे, इसलिए वे शोक में तो हैं ही, उनका व्यवहार बौखलाए हुए क्रि केट प्रेमी सा हो गया है. यही कारण है कि वे कहीं टीवी सेट फोड़ते नजर आ रहे हैं, तो कहीं विराट कोहली और उनकी गर्लफ्रेंड अनुष्का की तसवीर जलाते. लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या हार के बाद इस तरह का व्यवहार उस देश के क्रिकेट प्रेमियों को शोभा देता है, जहां क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं बल्कि धर्म बन चुका है.एक आदर्श क्रिकेट प्रेमी की तरह हम यह क्यों नहीं सोच रहे कि यह एक खेल है, जहां जो टीम अच्छा खेलती है, वह मैच जीतती है. लीग मैच में भारतीय टीम अजेय थी, तब हम उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे थे. ऐसे में एक मैच हारते ही तारीफ नफरत में कैसे बदल गयी.

विराट और अनुष्का पर अभद्र टिप्पणियां, घटिया मानसिकता का परिचायक

सेमीफाइनल मुकाबले में विराट कोहली नहीं खेल पाये और मात्र एक रन बनाकर आउट हो गये. इस बात को लेकर उनकी आलोचना निश्चित तौर पर होनी चाहिए. विराट कोहली से पूरे देश की उम्मीदें जुड़ीं हुईं थीं, लेकिन इसके लिए उनकी महिला मित्र को कोसना, उसपर अभद्र टिप्पणी करना कहीं से न्यायसंगत नहीं है. विराट कोहली ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कई बार देश के लिए शानदार प्रदर्शन किया है और उसे विजय दिलायी है.

महान खिलाड़ी हैं विराट कोहली, अभी टीम को उनकी जरूरत

विराट कोहली भारतीय क्रिकेट टीम के उपकप्तान हैं और टेस्ट क्रिकेट में वे टीम के कप्तान भी हैं. ऐसे में अगर उनका बल्ला किसी मैच में या फिर किसी सीरीज में नहीं चलता है, तो उसके लिए उनके पूरे कैरियर को सिफर मान लेना और उन्हें टीम से निकालने की मांग करना किसी भी खिलाड़ी के मनोबल को गिराने वाला है. इस परिस्थिति में कोई खिलाड़ी कैसे बेहतर प्रदर्शन करेगा, जब उसपर इतना मानसिक दबाव हो. देश के लिए अबतक 32 (टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट) सेंचुरी बना चुके विराट अभी मात्र 26 वर्ष के हैं. उनमें देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है, उस जज्बे को खत्म करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए. यह सही है कि विराट सेमीफाइनल में गलत शॉट खेलकर आउट हुए, इसके लिए उनकी क्लास लगायी जाये, सूली पर न लटकाया जाये.

यह ना भूलें, खेल के मैदान में सिर्फ क्रिकेट में ही है हमारी अच्छी उपस्थिति

भारत एक ऐसा देश है, जहां की आबादी 125 करोड़ तो है, लेकिन खेल जगत में हम आज भी काफी पीछे हैं. क्रिकेट ही एक मात्र ऐसा खेल है, जिसमें हम कई बार अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं और दो बार विश्वकप भी जीत चुके हैं. विराट कोहली, आईसीसी रैंकिंग में नंबर दो हैं. इसलिए हमें ऐसा कोई आचरण नहीं दिखाना चाहिए, जिसके कारण हमारा यह खेल भी बर्बाद हो जाये.

हार पर मंथन जरूरी

विश्वकप के लीग मैचों में अजेय रही भारतीय टीम आखिर सेमीफाइनल में पस्त क्यों हो गयी. इसपर विचार करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में हम उन कारणों से उबर सकें. इसके लिए खिलाड़ियों की मैच फीस में कटौती की जा सकती है,लेकिन उनके परिवार वालों पर टिप्पणियां कहीं से तर्कसंगत नहीं है.

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