…जब महेंद्र सिंह धौनी ने जड़ा था डबल सेंचुरी

नयी दिल्ली : भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के बारे में यह बात कही जाती है कि वे मैच में रणनीति अपनी अंतरात्मा की आवाज पर बनाते हैं. उनकी यह रणनीति उन्हें आज तक विजश्री दिलाती रही है. धौनी में यह गुण स्कूल के समय से मौजदू है. स्कूली शिक्षा के दौरान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 6, 2015 5:10 PM

नयी दिल्ली : भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के बारे में यह बात कही जाती है कि वे मैच में रणनीति अपनी अंतरात्मा की आवाज पर बनाते हैं. उनकी यह रणनीति उन्हें आज तक विजश्री दिलाती रही है. धौनी में यह गुण स्कूल के समय से मौजदू है. स्कूली शिक्षा के दौरान एक बार उन्होंने शारीरिक शिक्षा के शिक्षक के खिलाफ एक टूर्नामेंट के फाइनल मैच में पारी की शुरुआत करने को लेकर विद्रोह कर दिया था और जब पारी की शुरुआत की तो नाबाद 213 रन जमाये थे.

फॉर्म से बाहर चल रहे धौनी अपने दिल की आवाज सुनते हुए 2011 के विश्व कप फाइनल मैच में भी बल्लेबाजी क्रम में तीसरे स्थान पर उतरे थे और इसके बाद की कहानी इतिहास बन चुकी है.धौनी ने कई बार तर्क को पीछे छोड़ते हुए अपनी अंतरात्मा की आवाज पर भरोसा किया है जिसे बहुत सारे लोग घबरा जाते हैं लेकिन धौनी की रणनीति हमेशा काम आयी है और संभवत: इसी वजह से वह क्रिकेट के खेल के सबसे अच्छे फिनिशर में से एक माने जाते हैं.
इसी तरह की एक घटना का जिक्र धौनी की जीवनी ‘एमएसडी- द मैन, द लीडर’ में किया गया है. इस किताब को पत्रकार विश्वदीप घोष ने लिखा है जिसमें धौनी के रांची के बचपन के दिनों से लेकर भारतीय क्रिकेट की कप्तानी तक के सफर को दर्शाया गया है.
धौनी 1997 में डीएवी जवाहर विद्या मंदिर की ओर से अंतर स्कूल प्रतियोगिता के फाइनल में हिनू में स्थित केंद्रीय विद्यालय के खिलाफ खेल रहे थे और पारी की शुरुआत करना चाहते थे लेकिन उनके शिक्षक केशव रंजन बनर्जी बल्लेबाजी क्रम के साथ कोई छेड़छाड़ करना नहीं चाहते थे.लेकिन आखिरकार बनर्जी मान गये और धौनी ने पारी की शुरुआत करते हुए शब्बीर हुसैन (117 नाबाद) के साथ 378 रनों की साझेदारी की थी.