धौनी की तरह ”फिनिशर” बनना चाहते हैं शंकर, विराट-रोहित के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करना सपने जैसा

चेन्नई : विश्व कप के लिये भारतीय टीम में जगह बनाने के लिये मजबूत दावा पेश करने वाले विजय शंकर को लगता है कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे की उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि महेंद्र सिंह धौनी से लक्ष्य का पीछा करने की कला सीखना है. शंकर ने न्यूजीलैंड दौरे के दौरान बल्लेबाजी में अच्छा प्रदर्शन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 13, 2019 8:00 AM

चेन्नई : विश्व कप के लिये भारतीय टीम में जगह बनाने के लिये मजबूत दावा पेश करने वाले विजय शंकर को लगता है कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे की उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि महेंद्र सिंह धौनी से लक्ष्य का पीछा करने की कला सीखना है.

शंकर ने न्यूजीलैंड दौरे के दौरान बल्लेबाजी में अच्छा प्रदर्शन किया और वह धौनी की तरह मैच का समापन करना चाहते हैं. सोमवार को स्वदेश लौटे शंकर ने कहा, मैं सीनियर खिलाड़ियों का साथ पाकर खुश था. उन्हें केवल मैच की तैयारियां करते हुए देखना ही सीखा है.

धौनी को लक्ष्य का पीछा करते हुए देखकर मैंने काफी कुछ सीखा. मैंने विशेषकर लक्ष्य का पीछा करते हुए पारी को कैसे आगे बढ़ाना है, इसको लेकर काफी कुछ सीखा. मैंने उनकी मानसिकता से सीख ली. उन्होंने कहा कि धौनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करना उनके लिये सपने जैसा था.

मितभाषी शंकर ने कहा, विराट कोहली, महेंद्र सिंह धौनी, रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करना बहुत अच्छा अनुभव रहा. टीम के सीनियर को देखना और उनसे सीखना महत्वपूर्ण है. शंकर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ आखिरी टी20 मैच में तीसरे नंबर पर उतारे जाने पर हैरानी जतायी थी, लेकिन उन्होंने कहा कि टीम प्रबंधन ने शृंखला शुरू होने से पहले उन्हें इस बारे में बताया था.

उन्होंने कहा, मैं हैरान था लेकिन साथ ही खुश भी था कि मुझे तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिये कहा गया है. मुझे शृंखला शुरू होने से पहले बताया गया था कि मुझे वनडाउन पर बल्लेबाजी करने के लिये भेजा जा सकता है। टी20 में आपके पास क्रीज पर पांव जमाने के लिये पर्याप्त समय नहीं होता और आपका दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए.

शंकर को निराशा है कि वह तीसरे टी20 में टीम को जीत नहीं दिला पाये. उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि मुझे कुछ और रन बनाने चाहिए थे. इसके अलावा तीसरे वनडे में टीम को जीत नहीं दिला पाने पर मुझे निराशा हुई. मेरे पास मौका था. यह मेरे लिये सीखने का अच्छा अवसर था. मुझे तेजी से सीखने और लगातार अच्छा प्रदर्शन करने की जरूरत है.

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