Sawan 2025: कांवड़ को कंधे पर उठाने की क्या है मान्यता ? जानिए धार्मिक, आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व

Sawan 2025: सावन 2025 में कांवड़ यात्रा एक गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक भाव से जुड़ी होती है. भक्त कांवड़ को कंधे पर रखकर गंगाजल लाते हैं और शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. यह परंपरा न केवल पौराणिक कथाओं से जुड़ी है, बल्कि त्याग, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक भी मानी जाती है.

By Shaurya Punj | July 12, 2025 2:53 PM

Kanwar Yatra 2025 in Sawan: सावन का महीना आते ही उत्तर भारत में शिवभक्ति का उत्सव शुरू हो जाता है. मंदिरों की घंटियां, हर-हर महादेव की गूंज और भक्तों की श्रद्धा से पूरा वातावरण शिवमय हो जाता है. सावन की इस भक्ति में सबसे विशेष परंपरा होती है कांवड़ यात्रा, जिसमें लाखों शिवभक्त — जिन्हें कांवड़िए कहा जाता है — गंगाजल लेकर लंबी पदयात्रा पर निकलते हैं। यह यात्रा केवल एक धार्मिक रिवाज नहीं, बल्कि यह श्रद्धा, साधना, सेवा और समर्पण का जीवंत प्रतीक है.

क्या है कांवड़ यात्रा?

कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख आदि पवित्र स्थलों से गंगाजल भरकर अपने क्षेत्रीय शिव मंदिरों तक पैदल पहुंचते हैं और शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं. उनके कंधों पर कांवड़ होती है — एक लकड़ी या बांस की छड़ी, जिसके दोनों सिरों पर जल से भरे कलश लटकते होते हैं. नियम यह है कि यह कांवड़ यात्रा के दौरान जमीन पर नहीं रखी जाती.

कांवड़ को कंधे पर उठाने की मान्यता

भगवान राम से जुड़ी परंपरा

पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गंगाजल कांवड़ में भरकर भगवान शिव को अर्पित किया था. उसी परंपरा का अनुसरण करते हुए आज भी लाखों शिवभक्त कांवर कंधे पर रखकर यात्रा करते हैं.

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श्रवण कुमार की प्रेरणा

श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता को कांवर में बैठाकर तीर्थयात्रा करवाई थी. यह सेवा और भक्ति का आदर्श उदाहरण है, जो आज भी कांवर यात्रा की भावना को प्रेरित करता है.

तप और साधना का प्रतीक

नंगे पांव सैकड़ों किलोमीटर चलना, कांवर का भार उठाना — यह केवल यात्रा नहीं, बल्कि कठोर साधना का रूप है। यह साधना शरीर को नहीं, मन को शुद्ध करती है.

अहंकार और पापों का परित्याग

कांवर को कंधे पर उठाना भक्त के भीतर के अहंकार को नष्ट करने और भगवान शिव के समर्पण का प्रतीक माना जाता है. गंगाजल से शिवलिंग अभिषेक करने से पापों का नाश होता है — लेकिन तभी जब यह यात्रा सच्ची आस्था और आत्मपरिवर्तन की भावना से की जाए.

श्रद्धा और अडिग विश्वास का संकेत

कांवड़ यात्रा हर बाधा, कठिनाई और थकान के बावजूद यह दर्शाती है कि भक्त का विश्वास अडिग है। उसका लक्ष्य केवल शिव की कृपा प्राप्त करना है.

कांवर यात्रा: एक गहन आध्यात्मिक अनुभव

“एकेडमी ऑफ वैदिक विद्या” के अनुसार, कांवर यात्रा केवल एक धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का मार्ग है। यह यात्रा भक्त के मन को संयमित करती है, भीतर शांति लाती है और उसे शिव से जोड़ती है।

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