Rohini Vrat Katha: इस व्रत से मिली सौभाग्य की प्राप्ति, जानिए रोहिणी व्रत के पीछे की धार्मिक कथा

Rohini Vrat Katha: क्या आप जानते हैं कि रोहिणी व्रत सिर्फ उपवास नहीं, बल्कि आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना गया है? कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसके जीवन से दुख, संकट और दरिद्रता दूर हो जाती है. आइए जानते हैं इस व्रत के पीछे की धार्मिक कथा और इसका महत्व.

By JayshreeAnand | November 6, 2025 12:32 PM

Rohini Vrat Katha: रोहिणी व्रत हर महीने उस दिन रखा जाता है, जब आसमान में रोहिणी नक्षत्र का उदय होता है. यह व्रत मुख्य रूप से जैन धर्म में बहुत प्रसिद्ध है, लेकिन हिंदू धर्म में भी इसे शुभ फलदायी माना गया है. इस व्रत का संबंध चंद्रदेव से है, क्योंकि रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा की प्रिय पत्नी मानी जाती हैं.

रोहिणी व्रत कथा

पुराणों में वर्णन मिलता है कि एक बार राजा अशोकचंद्र अपनी रानी के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे. एक दिन राजमहल में एक संत आए, जिन्होंने रानी से कहा कि “हे देवी, यदि तुम अपने परिवार के सुख और समृद्धि को स्थायी बनाना चाहती हो, तो हर महीने रोहिणी व्रत अवश्य रखो.” रानी ने संत की बात मानकर यह व्रत करना शुरू किया. वह हर महीने रोहिणी नक्षत्र के दिन व्रत रखतीं, भगवान चंद्रदेव की पूजा करतीं और जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान देतीं. कुछ ही समय बाद उनके जीवन में सभी कष्ट दूर हो गए. राजा को सफलता मिली, राज्य में शांति आई और परिवार में हमेशा सौहार्द बना रहा. कहा जाता है कि भगवान चंद्रदेव स्वयं प्रसन्न होकर रानी को आशीर्वाद देने प्रकट हुए, और बोले “जो भी स्त्री या पुरुष इस व्रत को श्रद्धा से करेगा, उसके घर में कभी दुख नहीं आएगा.”

व्रत रखने का महत्व

रोहिणी व्रत करने से सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है.

यह व्रत व्यक्ति के पिछले कर्मों के दोष को कम करता है.

पति-पत्नी के बीच प्रेम और समझ बढ़ाने में भी यह व्रत प्रभावी माना जाता है.

जैन धर्म में यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का एक साधन भी माना गया है.

इस दिन कैसे करें पूजा

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर में साफ-सफाई करें.

भगवान विष्णु या चंद्रदेव की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं.

रोहिणी नक्षत्र के दौरान व्रत का संकल्प लें.

दिनभर फल या केवल जल ग्रहण कर सकते हैं.

शाम को पूजा के बाद कथा सुनें और आरती करें.

अगले दिन नक्षत्र समाप्त होने पर व्रत का पारण करें.

 धार्मिक मान्यता

ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति रोहिणी व्रत की कथा सुनता या सुनाता है, उसे कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है. घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है.

रोहिणी व्रत की कथा सुनना जरूरी है क्या?

हाँ, कथा सुनने से व्रत पूर्ण फलदायी होता है.

क्या पुरुष भी यह व्रत रख सकते हैं?

पुरुष और महिलाएं दोनों रख सकते हैं.

क्या इस व्रत में फलाहार किया जा सकता है?

हाँ, फल या दूध लेकर यह व्रत किया जा सकता है.

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