Navratri 2025: करें मां कूष्मांडा की व्रत कथा का पाठ, सफल होंगे सारे काम

Navratri 2025 Day 4: नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है. मान्यता है कि आज के दिन पूजा-पाठ कर माता की कथा सुनना बेहद फलदायक होता है. इससे जीवन के सारे दुख और बाधाएं दूर होती हैं और सकारात्मकता आती है.

By Neha Kumari | September 26, 2025 12:05 PM

Navratri 2025 Day 4: नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप को समर्पित है. मां कूष्मांडा की आराधना से आत्मबल, साहस और यश का आशीर्वाद मिलता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता की मुस्कान यानी ‘कूष्मांडा’ से अंधकार से घिरे इस ब्रह्मांड में रोशनी की किरण फैली थी. यही कारण है कि मां दुर्गा के इस स्वरूप को मां कूष्मांडा नाम दिया गया. माना जाता है कि नवरात्रि के इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से मां की आराधना कर, विधिपूर्वक पूजा-पाठ और मां कूष्मांडा की कथा का पाठ करता है, उस पर माता का आशीर्वाद सदा बना रहता है और जीवन में सफलता का आगमन होता है.

मां कूष्मांडा की कथा (Maa Kushmanda Ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में ब्रह्मांड पर घना अंधकार छाया हुआ था. पूरी सृष्टि एकदम शांत थी, न कोई संगीत, न कोई ध्वनि, केवल गहरा सन्नाटा था. यह देखकर त्रिदेव यानी भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शंकर) जी ने अंधकार को दूर कर सृष्टि की रचना करने का संकल्प लिया. इसके लिए त्रिदेव ने जगत-जननी आदिशक्ति मां दुर्गा का आह्वान कर उनसे सहायता मांगी.

इसके बाद जगत-जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा ने तुरंत ही ब्रह्मांड की रचना की. कथा के अनुसार, मां कूष्मांडा ने अपनी हल्की सी मुस्कान से सृष्टि का निर्माण किया. मां के चेहरे पर फैली मुस्कान में इतना तेज था कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड प्रकाशमय हो गया और सृष्टि की रचना संभव हो पाई.

शास्त्रों के अनुसार, मां कूष्मांडा सूर्य लोक में निवास करती हैं. ब्रह्मांड की सृष्टि करने वाली मां कूष्मांडा के मुखमंडल का जो तेज है, वही सूर्य को प्रकाशवान बनाता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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