Jivitputrika Vrat 2025: जीवित्पुत्रिका व्रत से पहले जाने पूजा के नियम
Jivitputrika Vrat 2025: जीवित्पुत्रिका व्रत2025 हिन्दू धर्म में माताओं के लिए अत्यंत पावन और कठिन व्रत माना जाता है. यह व्रत संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना से रखा जाता है. जीवित्पुत्रिका व्रत से पहले नहाय-खाय और पूजन विधि का पालन करना जरूरी है. आइए जानें इसके नियम और महत्व.
Jivitputrika Vrat 2025: हिन्दू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत महिलाओं के लिए अत्यंत कठिन और विशेष माना जाता है. इस व्रत को माताएं अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से करती हैं. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रखकर जीमूतवाहन की पूजा करती हैं.
व्रत की तिथि और शुभ समय
- व्रत तिथि: 14 सितम्बर 2025, रविवार
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 14 सितम्बर, सुबह 08:41 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्ति: 15 सितम्बर, सुबह 06:27 बजे
- नवमी तिथि प्रारंभ: 15 सितम्बर, सुबह 06:27 बजे (इस दिन व्रत का पारण होगा)
व्रत की शुरुआत (नहाय-खाय)
नहाय-खाय: 13 सितम्बर 2025, शनिवार को होगा. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं शुद्ध भोजन बनाती हैं, जिसमें सेंधा नमक का प्रयोग होता है और लहसुन-प्याज का परहेज किया जाता है.
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व्रत की मुख्य प्रक्रिया
- 14 सितम्बर 2025 को महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं.
- संध्या समय स्नान करके जीमूतवाहन की पूजा की जाती है.
- यह व्रत सप्तमी युक्त अष्टमी पर नहीं, बल्कि शुद्ध अष्टमी तिथि पर ही किया जाता है.
- व्रत का पारण नवमी तिथि पर किया जाता है.
व्रत का पारण
- तिथि: 15 सितम्बर 2025, सोमवार
- विधि: प्रातः स्नान करके पूजा करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
- मान्यता है कि पारण गाय के दूध से करना शुभ फलदायी माना जाता है.
व्रत का महत्व
यह व्रत भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से प्रसिद्ध है, जैसे—जीवितिया, जीवित्पुत्रिका, या जीमूतवाहन व्रत. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से पुत्र की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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