Jitiya 2025 Mehndi Art Design: सुहागिनों के लिए जितिया पर मेहंदी, लगाना सही या नहीं

Jitiya 2025 Mehndi Art Design: जितिया व्रत पर मेहंदी लगाने की परंपरा सुहागिनों के लिए बेहद खास मानी जाती है. यह केवल सौंदर्य और सजावट का हिस्सा नहीं, बल्कि शुभता और आस्था का प्रतीक भी है. 2025 में जितिया व्रत पर खास मेहंदी आर्ट डिजाइन अपनाकर महिलाएं अपनी आस्था और परंपरा को और विशेष बना सकती हैं.

By Shaurya Punj | September 11, 2025 1:06 PM

Jitiya 2025 Mehndi Art Design: जितिया व्रत विशेष रूप से माताएं अपने पुत्रों की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और कल्याण के लिए करती हैं. इस दिन व्रत, पूजा और धार्मिक अनुष्ठान अत्यंत पवित्र माने जाते हैं. व्रत के नियमों के दौरान महिलाओं को शरीर की पवित्रता और सजावट के बीच संतुलन बनाए रखने की सलाह दी जाती है. ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या इस व्रत में मेहंदी लगाना शुभ है?

मेहंदी का धार्मिक महत्व

धार्मिक दृष्टि से जितिया व्रत में मेहंदी लगाना शुभ माना जाता है, बशर्ते इसे व्रत की पवित्रता और नियमों का उल्लंघन किए बिना लगाया जाए. मेहंदी केवल सजावट का साधन ही नहीं बल्कि मानसिक शांति और उत्साह का प्रतीक भी मानी जाती है. लोककथाओं और प्राचीन मान्यताओं में इसका उल्लेख है कि मेहंदी लगाने से शुभ फल प्राप्त होते हैं और यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है.

प्राकृतिक और स्वास्थ्यकारी गुण

मेहंदी एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होती. जितिया व्रत के दौरान महिलाएं स्नान करके पवित्र वस्त्र धारण करती हैं और उसी समय हल्की और प्राकृतिक मेहंदी लगाना उचित माना जाता है. इसे धार्मिक दृष्टि से ‘सजावट और शुभता’ का प्रतीक माना जाता है, जो व्रत की गरिमा को और भी बढ़ा देता है.

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मेहंदी लगाने का सही समय

हालांकि, मेहंदी लगाने का समय और तरीका महत्वपूर्ण है. इसे इतना अधिक न लगाया जाए कि पूजा या व्रत की पवित्रता में बाधा उत्पन्न हो. कई परिवारों में परंपरा है कि मेहंदी व्रत के दिन सुबह या नहाय-खाय के बाद लगाई जाती है. इससे धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन भी होता है और मेहंदी का शुभ प्रभाव भी मिलता है.

संक्षेप में कहा जाए तो जितिया व्रत में मेहंदी लगाना पूरी तरह से शुभ और धार्मिक दृष्टि से उचित है. यह न केवल व्रती की सुंदरता को निखारती है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करती है. इसलिए इसे पारंपरिक नियमों और सावधानी के साथ अपनाना चाहिए, ताकि व्रत सफल और मंगलमय सिद्ध हो.