Indira Ekadashi 2025 Shubh Yog: इंदिरा एकादशी पर बन रहा है विशेष संयोग, मिलेगी सुख-समृद्धि और मानसिक शांति

Indira Ekadashi 2025 Shubh Yog: इंदिरा एकादशी, जो पितृ पक्ष में आती है, इस बार विशेष संयोग के साथ पड़ रही है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत और पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. यह व्रत मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति दिलाता है.

By Shaurya Punj | September 11, 2025 10:18 AM

Indira Ekadashi 2025 Shubh Yog: हिंदू धर्म में इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) का विशेष महत्व है. यह एकादशी पितृपक्ष के दौरान आती है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पुण्य कर्म करने से पितरों के पाप नष्ट होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

कब है इंदिरा एकादशी 2025

इस वर्ष इंदिरा एकादशी का व्रत और श्राद्ध कर्म 17 सितंबर 2025 को किया जाएगा. खास बात यह है कि इस दिन चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में रहेंगे, जिससे गौरी योग का शुभ संयोग बन रहा है. इस विशेष योग में किया गया व्रत और तर्पण कई गुना फल प्रदान करेगा.

इंदिरा एकादशी का पारण

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना गया है. शास्त्रों के अनुसार, व्रत का समापन पारण कहलाता है, जो अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है. पारण का समय बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए इसे द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले अवश्य कर लेना चाहिए. मान्यता है कि सही समय पर पारण करने से व्रत का फल पूर्ण रूप से प्राप्त होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

इंदिरा एकादशी का पारण कब

17 सितंबर को इंदिरा एकादशी का व्रत श्रद्धापूर्वक रखा जाएगा. इसके अगले दिन यानी 18 सितंबर को पारण किया जाएगा. इस दिन साधक प्रातः स्नान-ध्यान और पूजा-अर्चना करने के बाद सुबह 06:07 बजे से 08:34 बजे के बीच व्रत का समापन कर सकते हैं.

इन्दिरा एकादशी के दिन न करें ये काम

इंदिरा एकादशी के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना अनिवार्य माना गया है. इस दिन तामसी भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन वर्जित है. व्रती को संयमित जीवन जीते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस दिन भोग-विलास से दूर रहना शुभ माना गया है. घर में झाड़ू लगाने, बाल-दाढ़ी बनाने और नाखून काटने की भी मनाही रहती है. यह दिन पूरी तरह से शुद्ध आचरण, जप, ध्यान और पितरों के तर्पण को समर्पित होता है.

ऐसी मान्यता है कि यदि व्यक्ति एकादशी व्रत नियमपूर्वक करता है और पारण सही समय पर करता है, तो उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा पितरों की आत्मा तृप्त होकर आशीर्वाद देती है.

इंदिरा एकादशी का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि इंदिरा एकादशी पर उपवास, पूजा और तर्पण करने से पितरों के पाप मिट जाते हैं और उन्हें शांति मिलती है. साथ ही व्रती को सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसा भी माना जाता है कि इस व्रत से व्यक्ति को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है.

यदि कोई व्यक्ति उपवास करने में असमर्थ है, तो वह इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, तिल तर्पण और पितरों के नाम पर दान-पुण्य करके भी पुण्य लाभ प्राप्त कर सकता है. इस प्रकार इंदिरा एकादशी न केवल पितरों की मुक्ति का मार्ग है बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाने वाला पर्व भी है.