Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा के दिन क्या न करें? जानें गुरु पूजा के दौरान बरतें ये सावधानियां

Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा 2025 का दिन गुरु भक्ति और आध्यात्मिक साधना का पर्व है. इस शुभ अवसर पर कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है, ताकि पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके. आइए जानें गुरु पूजा के दौरान कौन-सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए और क्या न करें.

By Shaurya Punj | July 9, 2025 7:16 AM

Guru Purnima 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. यह दिन गुरु भक्ति, आत्मचिंतन और ज्ञान साधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. वर्ष 2025 में यह पावन पर्व 10 जुलाई को मनाया जाएगा. इस दिन श्रद्धालु अपने गुरुओं, शिक्षकों और जीवन पथदर्शकों का श्रद्धा से पूजन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

गुरु पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

गुरु को भारतीय संस्कृति में ईश्वर के समान स्थान प्राप्त है. गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से महर्षि वेदव्यास की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया और पुराणों की रचना की. वेदव्यास को आदिगुरु भी माना जाता है. गुरु न केवल ज्ञान का स्रोत होते हैं, बल्कि वे जीवन को दिशा और दृष्टि भी देते हैं. इसलिए इस दिन गुरु के चरणों में श्रद्धा अर्पित करना पुण्यदायक होता है.

गुरु पूर्णिमा पर क्या करें?

  • प्रातःकाल स्नान करें: ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या स्नान जल में गंगाजल मिलाकर शुद्धि करें.
  • गुरु पूजन करें: अपने आध्यात्मिक या सांसारिक गुरु, माता-पिता अथवा शिक्षक को पुष्प, फल, वस्त्र व दक्षिणा अर्पित कर उनका आशीर्वाद लें.
  • धार्मिक पाठ करें: इस दिन गुरु गीता, वेदव्यास स्तुति या अन्य गुरु स्तोत्रों का पाठ शुभ माना जाता है.
  • दान-पुण्य करें: अन्न, वस्त्र, शिक्षा सामग्री व दक्षिणा का ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान करें.
  • ध्यान और मौन व्रत करें: आत्मचिंतन, साधना और मौन रहने से मानसिक शुद्धि और गुरु-कृपा प्राप्त होती है.

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इस दिन क्या न करें?

  • गुरु का अनादर न करें: गुरु अथवा बड़े-बुजुर्गों के प्रति किसी भी प्रकार की असम्मानजनक भावना रखना वर्जित है.
  • नकारात्मक विचार न रखें: इस दिन क्रोध, द्वेष, ईर्ष्या व कटु वचन से बचना चाहिए.
  • मांस-मदिरा का सेवन न करें: यह दिन पूर्ण सात्विकता व संयम का होता है.
  • आलस्य न करें: देर से उठना, पूजा में टालमटोल करना या उत्साह की कमी अशुभ फल दे सकता है.