Chhath Geet: छठ गीतों की पवित्रता, जानें क्यों केवल इस महापर्व पर गाए जाते हैं?

Chhath Geet: छठ पूजा में गाए जाने वाले छठ गीतों की पवित्रता और महत्व अनोखा है। ये गीत सूर्य देव और छठी मैया की स्तुति करते हैं और केवल छठ पर्व के दौरान ही गाए जाते हैं। पहले किसी अन्य अवसर पर इन्हें नहीं गाया जाता, ताकि पूजा की शुद्धता, परंपरा और आध्यात्मिक भाव बनाए रखा जा सके।

By Shaurya Punj | October 21, 2025 12:36 PM

Chhath Geet: छठ पूजा बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के तराई क्षेत्र में बहुत ही खास पर्व माना जाता है. यह पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होती है. छठ पूजा में नियम और शुद्धता का बहुत ध्यान रखा जाता है. इस पूजा के दौरान छठ गीत गाए जाते हैं, जिनमें सूर्य देव और प्रकृति की महिमा का वर्णन होता है. परंपरा यह है कि छठ पूजा से पहले किसी भी अवसर पर ये गीत नहीं गाए जाते. इसके पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कई कारण हैं.

धार्मिक कारण

पहला कारण यह है कि छठ पूजा की तैयारी बहुत पवित्र तरीके से की जाती है. व्रती, जो व्रत रखते हैं, जब पूरी तैयारी कर लेते हैं, जैसे पवित्र जल, फल, ठेकुआ आदि सज जाते हैं, तभी ये गीत गाए जाते हैं. अगर कोई इन्हें पहले गा ले, तो पूजा की पवित्रता प्रभावित हो सकती है.

सांस्कृतिक और सामाजिक कारण

दूसरा कारण सांस्कृतिक और सामाजिक है. छठ गीत हमारी परंपरा और लोक जीवन का हिस्सा हैं. ये गीत सूर्य और छठी मैया की स्तुति करते हैं और उनकी भक्ति दिखाते हैं. अगर इन्हें किसी और समय गाया जाए, तो इनकी खासियत और आध्यात्मिक महत्व कम हो जाता है. यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि छठ पूजा केवल एक विशेष समय पर ही होती है.

पूजा के नियम और अनुशासन

तीसरा कारण यह है कि छठ पूजा चार दिन चलती है और हर दिन के लिए अलग-अलग अनुष्ठान और गीत तय हैं. अगर इन गीतों को पहले ही गाया जाए, तो पूजा का माहौल और अनुशासन बिगड़ सकता है. इसलिए, छठ पूजा के गीत केवल पूजा के समय ही गाए जाते हैं. इससे न केवल पूजा की पवित्रता बनी रहती है, बल्कि व्रती और समाज को छठ पर्व का महत्व और उसका उत्सव भाव भी महसूस होता है. इस तरह, परंपरा और पूजा का आदर दोनों सुरक्षित रहते हैं.

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इस हफ्ते शुरू होगी छठ पूजा

प्रकृति, जल और सूर्य की पूजा पर आधारित यह पर्व एकता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और सूर्योदय में अर्घ्य देकर इसका समापन होता है.

छठ पूजा का चार दिवसीय कार्यक्रम 2025

  • 25 अक्टूबर 2025, शनिवार – नहाय-खाय: व्रती स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं.
  • 26 अक्टूबर 2025, रविवार – खरना: व्रत का मुख्य दिन, रात में विशेष भोजन और उपवास.
  • 27 अक्टूबर 2025, सोमवार – संध्या अर्घ्य: सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने का दिन.
  • 28 अक्टूबर 2025, मंगलवार – उषा अर्घ्य: सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर व्रत का समापन.